गुरुवार, 19 जनवरी 2012

शराब से मैं नहा रहा हूँ




शराब से मैं नहा रहा हूँ, जाम दिल में बढ़ा रहा हूँ,
तेरी यादों को धोने के लिए, जिन्दगी को मैं गला रहा हूँ,

नशे में चूर था अब तक, नशे को यूँ दबा रहा हूँ,
आग इश्क की बुझाने के लिए, जाम की बारिश करा रहा हूँ,

नशे में डूब कर भी मैं, तेरे किस्से सुना रहा हूँ,
तेरे लबों को भुलाने के लिए, शराब की बोतल लगा रहा हूँ,

पुकारा जोर से तुमको, या साकी को बुला रहा हूँ,
तुम्हारी याद में जाने, ये कैसे करतब दिखा रहा हूँ,

नशे में चूर हूँ फिर भी, सबको कितना हंसा रहा हूँ,
राह से जाने वालों को, एक सबक सिखा रहा हूँ,

शराब से मैं नहा रहा हूँ, जाम दिल में बढ़ा रहा हूँ
तेरी यादों को धोने के लिए, जिन्दगी को मैं गला रहा हूँ……
- सुधीर कुमार शुक्ल " तेजस्वी"

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