सफलता का अचूक अस्त्र है नग्नता!


मैं ये कहूँ की सिर्फ आवरणहीन वास्तु ही बिकती है तो गलत नहीं होगा, दूसरे शब्दों में ये भी कहा जा सकता है की नग्न वस्तुएं ही बिकती हैं, या ये की नग्नता अथवा अश्लीलता लोकप्रियता का अचूक अस्त्र है ये कहना ज्यादा उचित है,  इस अस्त्र के सहारे बहुतों ने प्रसिद्धि पाई है, कुछ दिनों पहले एक मॉडल ने भी इसी अस्त्र का उपयोग किया और घोषणा की कि वो भारतीय क्रिकेट टीम के समक्ष निपर्द होगी, अचानक ही वो प्रसिद्ध हो गई जबकि उसके १ दिन पहले तक उसका नाम तक कोई नहीं जनता था, 
खजुराहो के मंदिर से लेकर, मर्डर फिल्म, डर्टी पिक्चर, एवं कुछ टी. वी. धारावाहिक तक या फिर चाहे चित्रकार  एम. एफ. हुसैन हों   जब  भी किसी ने प्रसिद्धि चाही, इसी औजार का प्रयोग किया "नंगापन". आज कल तो इसकी हद हो गई जब पारिवारिक धारावाहिक, और यहाँ तक की कॉमेडी शो में कामुकता या नग्नता का उपयोग किया जाने लगा टी. र. पी. के खातिर. ये अति महत्वाकांक्षी लोग अपनी सफलता के लिए कुछ भी कर सकते हैं, दर असल नग्नता एक ऐसे चीज है जिसके प्रति आकर्षण मानव मन में कही अन्दर छुपा रहता है, ये लोग बस उसी का सौदा कर अपना काम निकाल लेते हैं,  नग्नता एक ऐसा शब्द है जो स्वतः ही मन को आकृष्ट करता है,  हालाँकि मुझे किसी पर निजी टिपण्णी नहीं करना चाहिए परन्तु विषय की वजह से मुझे ये लिखना पड़ेगा, इस साल एक अभिनेत्री को देश के सभी सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरष्कार मिले. आप यदि ध्यान से देखे तो उसमे अभिनय कला के नाम पर सिर्फ नग्नता थी, और उसे लोगों ने और जजों ने बहुत सराहा,  तो इस तरह तो विश्व की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड " कुतिया" को मिलना चाहिए क्योंकि  उससे ज्यादा काम कला में निपुण और निर्लज्ज मैंने किसी को नहीं देखा न ही सुना,
 इन लोगों को ये समझ में नहीं आता की इस तरह की नग्नता का समाज पर क्या असर पड़ेगा, बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सभी बैठ कर फिल्मे व टी.वी. धारावाहिक  देखते हैं. वो कितना असहज होते होंगे, इसके साथ -साथ एक छोटे से बच्चे के कोमल मन पर कामुकता भरती है, चूँकि बाल मन बहुत जिज्ञासु होता है और वो उसमे  प्रयोग  करने लगता, परिणाम स्वरुप वह कुछ गलत कर बैठता है, जो उसे उस उम्र में नहीं करना चाहिए. और उसका परिणाम ये होता है की उसकी मानसिकता कुंठित हो जाती है और वो अपराधी स्वभाव का भी बन सकता है, अब आप ये सोचिये की अगर ऐसे ही स्वभाव के बच्चे बहुतायत में होंगे तो देश की बाग़डोर भी इन्ही के हाथ में होगी, और जिस देश की बागडोर कुंठित नवजवानों के हाथ में होगी उसका क्या होगा......आप खुद ही समझ सकते हैं!! हद तो ये है की आजकल इसी तरह के अश्लील कार्यक्रमों का प्रसारण "प्राइम टाइम" में टी. वी. पर हो रहा है और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय कुम्भकरण की भांति सो रहा है, जब "ए" ग्रेड की फिल्मे देखना १८ साल ये कम उम्र के बच्चों और महिलाओं के लिए प्रतिबन्धि हैं तो, उसी तरह के कार्यक्रम  "प्राइम टाइम" पर प्रसारित क्यों किये जाते हैं, जिसे ५ साल का बच्चा पूरे परिवार के साथ देखने के लिए मजबूर होता है, हद तो तब हो गई जब एक बहुत ही प्रसिद्ध पारिवारिक धारावाहिक में अचानक वो दृश्य आने लगे जिसकी कोई कल्पना नहीं करसकता...उस समय परिवार के सदस्यों को कितनी असहजता हुई होगी आप खुद ही समझ सकते हैं, इन कार्यक्रमों की वकालत करने वाले लोग ये भी कह सकते हैं कि..ये तो सब नेचरल है, इसे क्या छुपाना .....तो मैं ये पूछता हूँ, कि यही मानव और पशुओं में अंतर होता है कि मानव सोच सकता है क्या गलत है क्या सही....ये कुछ विकृत मानसिकता वाले लोग अपनी सस्ती लोकप्रियता और पैसे के लिए समाज और राष्ट्र के हितों से खेल रहे हैं....अगर हमे समाज को विकृत होने से बचाना है तो ऐसे क्रिया कलापों पर रोक लगानी होगी, अन्यथा वह समय दूर नहीं जब परिवार और समाज कि सभी मर्यादाये टूट जाएँगी ! .....ॐ शांति!

3 टिप्‍पणियां:

  1. नंगा सो चंगा ।
    और

    नंगा नाचे गावे ढीठ । यह है कुदरत की रीत ।

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  2. मानव जीवन और व्यवहार

    ( 258 )


    मानव जीवन धर्म, और जादू टोना टोटका आदि की अवधारणायें :----
    पिछले अंक में धर्म और चमत्कारिक घटनाओ के संबंध में व्याख्या की गयी | विश्व के अनेक धर्मो में चमत्कारों से भरी उनकी कहानियां या उनके महान पुरुषों पैगम्बरों अवतारों आदि के कृत्यों में कही जाती है | अनेक धर्मो की मान्यता में जादू टोना तंत्र मंत्र का ही आधार ही धर्म है | ऐसे धर्म अदिकांशतः आदि वासी समुदायों के धर्मो में देखने को मिलती है | वुडू धर्म तो केवल झाड फूंक टोना टोटका पर ही आधारित है | इस धर्म के लोग देवी - देवता और अग्नि की पूजा करते है | टोना टोटका आज भी सभ्य समाज में देखने को मिलता है | देवी की पूजा से चमत्कार भी होता है | ऐसी उनकी मान्यताये हैं | आज भी भारतीय धर्म में देवी की पूजा भगवती के अनेकों रूप में की जाती है | देवी भगवती को ही आदिशक्ति कहा गया है | और देवी की पूजा करने वाले को शाक्त कहा जाता है | शाक्त, शैव और वैष्णव सनातन धर्म के तीन प्रकार के मुख्य सम्प्रदाय भी हैं | तंत्र और मंत्रो से तीनो सम्प्रदाय आधारित हैं और मंत्रो से सिद्धिया प्राप्त करने का हेतु ही इनकी पूजा अरचना में प्रमुखता है | सनातन धर्म के अनुयायियों में माँ भगवती को ही मंत्र और तंत्र के उत्पन्न करने वाली शक्ति माना जाता है | और उनकी उपासना से ही जीवन के हर उपादान में सफलता प्राप्त होती है | सनातन धर्म मे वर्ष में दो बार देवी की पूजा अर्चना सामूहिक त्योहारों के रूप में मनाई जाती है | देवताओं ने भी शक्ति की उपासना से ही अनेक युद्धों मे विजय प्राप्त किया | राम और कृष्ण आदि ने भी शक्ति की उपासना की | शक्ति की उपासना से मानव में चमत्कारिक शक्तियां भी आ जाती हैं ऐसी अवधारणाएं आज भी अनेक धर्म के अनुयायिओं में हैं | कला जादू , टोना, टोटका तंत्र और मंत्र जो अनेक प्रकार के हैं शक्ति की उपशना से मानव प्राप्त करता है | अनेक प्रकार के रोग दुख दर्द , भूत, प्रेत, पिशाच बाधा , नजर जैसी बाधाओं को दूर करने के लिए तंत्र और मंत्र की सिद्धि करते हैं | सम्मोहन ,मारण , वशीकरण विष हरण आदि के लिए मंत्रो की उपासना , मंत्रो के विपरीत काट के लिए भी मंत्रों की सिद्धि करने के लिए देवी का आह्वाहन पूजन और जाप आदि किये जाते हैं | आज भी अनेक स्थानों में देवी के मंदिरों की स्थापना शक्ति की उपासना के लिए की जाती हैं | विशेष काल में देवी की उपशना से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है ऐसी अवधारणा सनातन धर्म के अनुयायियों में विशेष है | अनेक धर्म के लोग भी तंत्र -मंत्र की उपशना से देवी देवताओं कोप्रसन्न करने वीएएस में करने और सम्मोहन आदि चमत्कारिक सिद्धियों की प्राप्ति के लिए करते हैं | आम जन मानस भी ऐसे साधकों के पास जाकर अपने ऊपर जादू जंतर टोना टोटका रोगों में नजर , झाड़ा फूंका आदि पर विश्वास कर पूजा करवाने के लिए जाते हैं | मां भगवती के अनेक पीठ हैं जिसमे 51 शक्ति पीठ , दुर्गा के शक्ति पीठ और लक्ष्मी के शक्ति पीठ अलग हैं | शास्त्रों के अनुसार माँ भगवती के उपासना से चमत्कारिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं | मानव की अवधारणा है कि कार्य की सफलता और अनेक प्रकार के ऐश्वर्य बिना शक्ति की उपासना के प्राप्त नही हो सकते |

    किसी भी धर्म में अगर देखा जय तो आदि पुरुष देव और आदि देवी प्रथम स्त्री के रूप में स्वीकार किया गया है | उनके नाम भले ही भिन्न हो ऐसी अवाधारणा मानव समाज में है |

    धर्म का इससे कोई भी लेना देना नही है यह बुटीक जीवन में जिजीविका के सतत विकास के लिए मानवीय आवश्यक्ताओंकी पूर्ति के लिए मात्र उपशना पद्धतियां हैं | विशुद्ध धर्म में ब्रह्म की उपशना ही ध्येय है और उसकी विधा त्रिगुणातीत और इन्द्रियातीत है |


    सौम्या नंद जी महाराज

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  3. मानव जीवन और व्यवहार

    ( 258 )


    मानव जीवन धर्म, और जादू टोना टोटका आदि की अवधारणायें :----
    पिछले अंक में धर्म और चमत्कारिक घटनाओ के संबंध में व्याख्या की गयी | विश्व के अनेक धर्मो में चमत्कारों से भरी उनकी कहानियां या उनके महान पुरुषों पैगम्बरों अवतारों आदि के कृत्यों में कही जाती है | अनेक धर्मो की मान्यता में जादू टोना तंत्र मंत्र का ही आधार ही धर्म है | ऐसे धर्म अदिकांशतः आदि वासी समुदायों के धर्मो में देखने को मिलती है | वुडू धर्म तो केवल झाड फूंक टोना टोटका पर ही आधारित है | इस धर्म के लोग देवी - देवता और अग्नि की पूजा करते है | टोना टोटका आज भी सभ्य समाज में देखने को मिलता है | देवी की पूजा से चमत्कार भी होता है | ऐसी उनकी मान्यताये हैं | आज भी भारतीय धर्म में देवी की पूजा भगवती के अनेकों रूप में की जाती है | देवी भगवती को ही आदिशक्ति कहा गया है | और देवी की पूजा करने वाले को शाक्त कहा जाता है | शाक्त, शैव और वैष्णव सनातन धर्म के तीन प्रकार के मुख्य सम्प्रदाय भी हैं | तंत्र और मंत्रो से तीनो सम्प्रदाय आधारित हैं और मंत्रो से सिद्धिया प्राप्त करने का हेतु ही इनकी पूजा अरचना में प्रमुखता है | सनातन धर्म के अनुयायियों में माँ भगवती को ही मंत्र और तंत्र के उत्पन्न करने वाली शक्ति माना जाता है | और उनकी उपासना से ही जीवन के हर उपादान में सफलता प्राप्त होती है | सनातन धर्म मे वर्ष में दो बार देवी की पूजा अर्चना सामूहिक त्योहारों के रूप में मनाई जाती है | देवताओं ने भी शक्ति की उपासना से ही अनेक युद्धों मे विजय प्राप्त किया | राम और कृष्ण आदि ने भी शक्ति की उपासना की | शक्ति की उपासना से मानव में चमत्कारिक शक्तियां भी आ जाती हैं ऐसी अवधारणाएं आज भी अनेक धर्म के अनुयायिओं में हैं | कला जादू , टोना, टोटका तंत्र और मंत्र जो अनेक प्रकार के हैं शक्ति की उपशना से मानव प्राप्त करता है | अनेक प्रकार के रोग दुख दर्द , भूत, प्रेत, पिशाच बाधा , नजर जैसी बाधाओं को दूर करने के लिए तंत्र और मंत्र की सिद्धि करते हैं | सम्मोहन ,मारण , वशीकरण विष हरण आदि के लिए मंत्रो की उपासना , मंत्रो के विपरीत काट के लिए भी मंत्रों की सिद्धि करने के लिए देवी का आह्वाहन पूजन और जाप आदि किये जाते हैं | आज भी अनेक स्थानों में देवी के मंदिरों की स्थापना शक्ति की उपासना के लिए की जाती हैं | विशेष काल में देवी की उपशना से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है ऐसी अवधारणा सनातन धर्म के अनुयायियों में विशेष है | अनेक धर्म के लोग भी तंत्र -मंत्र की उपशना से देवी देवताओं कोप्रसन्न करने वीएएस में करने और सम्मोहन आदि चमत्कारिक सिद्धियों की प्राप्ति के लिए करते हैं | आम जन मानस भी ऐसे साधकों के पास जाकर अपने ऊपर जादू जंतर टोना टोटका रोगों में नजर , झाड़ा फूंका आदि पर विश्वास कर पूजा करवाने के लिए जाते हैं | मां भगवती के अनेक पीठ हैं जिसमे 51 शक्ति पीठ , दुर्गा के शक्ति पीठ और लक्ष्मी के शक्ति पीठ अलग हैं | शास्त्रों के अनुसार माँ भगवती के उपासना से चमत्कारिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं | मानव की अवधारणा है कि कार्य की सफलता और अनेक प्रकार के ऐश्वर्य बिना शक्ति की उपासना के प्राप्त नही हो सकते |

    किसी भी धर्म में अगर देखा जय तो आदि पुरुष देव और आदि देवी प्रथम स्त्री के रूप में स्वीकार किया गया है | उनके नाम भले ही भिन्न हो ऐसी अवाधारणा मानव समाज में है |

    धर्म का इससे कोई भी लेना देना नही है यह बुटीक जीवन में जिजीविका के सतत विकास के लिए मानवीय आवश्यक्ताओंकी पूर्ति के लिए मात्र उपशना पद्धतियां हैं | विशुद्ध धर्म में ब्रह्म की उपशना ही ध्येय है और उसकी विधा त्रिगुणातीत और इन्द्रियातीत है |


    सौम्या नंद जी महाराज

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