शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

जनतंत्र की आड़ में चल रहा है डाकू तंत्र!!



आज जिस तरह देश की जनता महगाई, भ्रस्टाचार, और गरीबी से पीड़ित है, और हमारी सरकार कान में लोहे का सरिया डाल कर बैठी हुई है, उससे यही लगता है की ये जनता की सरकार नहीं डाकुओं की सरकार है, इन छद्म खादी धारकों को जनता का दर्द जराभी महसूश नहीं होता, उल्टा महगाई और घोटालों के नित नए कीर्तिमान स्थापित करने में लगे हैं, चाहे २ जी हो, राष्ट्रमंडल खेल हो, कोयला घोटाला हो, या अभी आने वाला लौह अयस्क घोटाला हो, ये हमारी माँ की कोख को बेच कर स्विस बैंक में पैसे जमा कर रहे हैं, हमारे हिस्से की रोटी छीन कर विदेशों में सड़ने के लिए जमा कर रहे हैं,  ये जनतंत्र के नाम पर ढकोसला है, सिर्फ डाकू तंत्र है, जनतंत्र में जनता का दर्द उसकी आह सुनी जाती है, और यहाँ ये संविधान के ठेकेदार संसद में बैठकर जनता का मखौल उड़ाते हैं, कुश्ती लड़ते हैं, अश्लील फिल्मे देखते हैं, आज एक भी नेता क्या संविधान की भावना में रहकर काम करता है,  आज देश का इनकी नजरमे देश का अमीर नागरिक जो २३ रुपये और २९ रुपये में  ख़ुशी से अपना जीवन निर्वाह कर रहा है,  उस पर इतना और महगाई का बोझ डालना कहा तक लोकतंत्र की परिभाषा में ठीक बैठता है,  मैं हर एक मंत्री को यह चुनौती देता हूँ की अगर वो १०० रुपये रोज में भी अपना जीवन यापन करके दिखाएँ तो मैं जीवन भर अपनी आधी मूछ कटवाकर घूमूँगा और उसकी गुलामी करूंगा और यदि ये इतने में गुजरा नहीं करपाए तो इन्हें इस बात पे शर्म आनी चाहिये की इनकी नजर में गाँव में २३ और शहर में २९ कमाने वाला व्यक्ति यदि गरीब नहीं है, तो ये क्यों नहीं गुजरा कर सकते, और इन्हें भी वही शर्त पूरी करनी चाहिए और इन्हें जनता की गुलामी करनी चाहिए. ये छद्म वेशधारी लोग खादी की आड़ में खादी का भी घोर अपमान कर रहे हैं,  इन खादी छाप डाकुओं को इस बात से कोई शर्म नहीं आता कि एक तरफ तो देश कि प्राक्रतिक सम्पदा जैसे, कोयला, लोहा, तांबा, आदि  को अपने बाप की सम्पति मान कर अपने परिवार वालों को मुफ्त में बाट रहे हैं और  मुद्रा कि घटती साख को रोकने का कोई उपाय नहीं कर रहे हैं, और दूसरे तरफ गरीब जनता का महगाई बढाकर खून चूस रहे हैं, 

इससे भी अधिक यदि कोई इनके खिलाफ कुछ बोलेगा तो उसे देश द्रोह के आरोप में उम्र कैद दिलादेंगे, इन डाकुओं को ये समझ लेना चाहिए कि ये देश नहीं है, ये राष्ट्र नहीं है, ये देश कि जनता की सेवा के लिए नियुक्त ऐसे प्रतिनिधि हैं जो पिछले ६५ साल से भोली जनता को बेबकूफ बना रहे हैं और उनका खून पी रहे हैं. एक खादी छाप डाकू अंगले ६० साल और हमारा खून चूसने का दावा कर रहे थे, एक लोग इतने अहंकारी, इतने क्रूर हो चुके हैं की अगर हमने इन्हें धक्के मार कर कुर्सी से नहीं हटाया तो ये यूँ ही हमारा घर उजड़ते रहेंगे और हमारा लहू पीते रहेंगे.....मैं एक बात अवश्य कह सकता हूँ की हमरे बापू जी, भगत सिंह और नेता जी ने ऐसे देश और नेताओं की कल्पना तक नहीं की होगी, उन्हें ये नहीं पता रहा होगा की जिस के लिए वो अपने प्राण दे रहे हैं उसी देश के तथाकथित कर्णधार जनता का खून पियेंगे....आज जहाँ भी इन लोगोंकी आत्माएं होंगी बहुत रोती होंगी..!!

( नोट: मैंने इसमें दुबले और चिंतित गाँधी जी की फोटो इस लिए लगे है की शायद इन लोगों को शर्म आये) 

जय हिंद!! जय भारत माँ!! जय भारत जन!!