महा माँ वाग्देवी सरस्वती जयंती के उपलक्ष में, सरस्वती बंदना, माँ सबको प्रज्ञा का वर दे............जय माँ वीणापाणिं.....( मित्रो आज
मैं बहुत हर्षित हूँ, क्योंकि मैं जब कक्षा ६ में था तब मैंने १ सरस्वती बंदना लिखी थी फिर वो खो गयी, तबसे मैंने बहुत सारी कवितायेँ लिखी परन्तु सरस्वती बंदना खोने का मुझे बहुत दुःख था, आज पुनः मैंने ये वंदना लिख कर उस क्षति की पूर्ति की है, धन्यवाद् ......)
है शुभ्र हंस, है शुभ्र पद्म भी ,
शुभ्र वस्त्र भी, शोभित हैं,
है शुभ्र ज्योत्स्ना, शुभ्र ज्ञान है,
माँ तू मन में, आवाहित है,
अम्ब विमल मति दे,
हे जग कल्याणी, ज्ञान दायनी,
मन निश्छल कर दे,
तू हंस विराजे, शुभ्र प्रकाशे,
प्रज्ञा का वर दे,
हे जड़मति नाशिनी, शुभ फल दायिनी,
सब जड़ता हर ले,
मैं कुटिल मंदमति, हूँ अज्ञानी,
बुद्धि प्रखर कर दे,
हे माँ गायत्री, माँ वागेश्वरी,
दिव्य ज्ञान भर दे,
दे शक्ति महा माँ, हे शारदा,
जग से तम हर ले,
सब का दुःख टूटे, निशि तम बीते,
सबको सुख वर दे,.
मैं पुत्र तुम्हारा, तम का मारा,
ज्योति प्रकाशित करदे,
दे ज्ञान मंत्र, कर सुफल वंदना,
जन्म सफल कर दे,
-
सुधीर कुमार शुक्ल तेजस्वी
आप का विजार अच्छा लगा आप का सम्मान करते हैं, आप से एक निवेदन है समय निकाल के हमारी ये लिंक देखें। http://rewarockers.blogspot.in
जवाब देंहटाएंAshish Ji,
हटाएंMaine aapka blog dekha.aap bahut achha likhte hain...
Abhaar