पिछले दो दिनों से जो हडकंप देश में मचा हुआ है, वो केजरीवाल के आरोपों की वजह से नहीं है, उसकी असली वजह ये है कि वो आरोप सोनिया माइनों खान, (मैंने सोनिया के नाम के सामने गाँधी नाम इसलिए नहीं लगाया क्योंकि इस शब्द की भारत में अलग इज्जत है, और सोनिया के परिवार को ये नाम लगाने का कोई हक नहीं है, उनक असली नाम सोनिया माइनों खान है) के दामाद राबर्ट वाड्रा के ऊपर लगा है, कल से जिस तरह से भारत सरकार के कई मंत्री और तीन राज्य सरकारों के मुख्यमंत्री से लेकर शीर्ष के नेताओं तक राहुल खान के जीजा जी का जिसतरह से बचाव करने में लगे हैं, उससे एक बात तो तय है की काग्रेसी अभी भी सबसे ईमानदार हैं, ये बात अलग है की वो तथा कथित गाँधी अपितु वास्तव में खान परिवार के लिए ईमानदार हैं न की राष्ट्र के लिए, ( मैं यहाँ स्पष्ट कर दूं की मैं सभी धर्मो की बराबर इज्जत करता हूँ, पर सोनिया और राहुल जिस नाम के पीछे छुपकर देश के बेताज बादशाह बने हुए हैं, तो सच्चाई लाना जरूरी था). दो दिन पहले भारत सरकार के कानून मत्री ने इस परिवार के लिए अपनी जान तक देने की इच्छा जाहिर करडाली, मुझे काफी ख़ुशी हुई की अभी भी देश में जान देने वाले लोग है, चाहे वो एक परिवार के दामाद के लिए ही क्यों न हो, मैं तो खुर्शीद साहब से प्रार्थना करता हूँ की अगर जान देने का इतना ही शौक है तो, सेना में चले जाइये तो एकाध जवान की जान ही बचेगी, और बदले में शहीद स्मारक भी नशीब होगा,
इस भ्रस्टाचार के दौर में चाहे वो २ जी घोटाला हो, CWG हो, कोल घोटाला, इतनी आक्रामकता मैंने कांग्रेसियों में कभी नहीं देखी, मुझे अब विश्वास हो गया है कि अभी भी कांग्रेसियों के लिए "एड्रिलिन हार्मोन" का एक मात्र स्रोत माइनों- खान परिवार ही है,
अच्छा है भारत का भला हो न हो इस परिवार का भला जरूर हो रहा है, और आज भी भारत में वंशवाद- राज्यवाद मौजूद है, चाहे वह लोकतंत्र और गाँधी के नाम की आड़ में ही क्यों न हो, मुझे इस बात पर दुःख हो रहा है कि महात्मा गाँधी जी कि आत्मा जहाँ कही भी होगी अपनी गलती पर जरूर पछता रही होगी कि अपने चहेते नेहरु कि बेटी कि शादी करवाने के लिए उन्होंने इस परिवार को अपना नाम क्यों दिया!
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