मेरी यह रचना मेरे इष्ट देव, संकटमोचन बजरंगबली के पावन चरणों में सादर समर्पित है....मेरे प्रभु हम सब को सद्बुद्धि दें और रक्षा करें ....जय ..जय ..जय हनुमान!
मारुत नंदन जय हनुमान,
शंकर सुवन कपीश महान,
तन सिन्दूर, जनेऊ साज्यो,
बज्र देह रवि तेज तुम्हारो,
मारुत की गति तुमने पाई,
कृपा विशेष राम की पाई,
बालापन रवि हनु धरि लीन्हा,
माँ अंजना के प्राण बचायो,
अंगद सुत तारा ने पायो,
सीता खोजन लंक सिधारो,
सुरसा को तुरतहि पहिचान्यो,
हत लंकिनी, मैनाक उबारयो,
बन्यो मसक रावण पुर प्रविश्यो,
अक्षय बध्यो और लंक जरायो,
सीता माँ का शोक निवारयो,
इन्द्रजीत ने शक्ति चलाई,
लक्षमण को तब मूर्छा आई,
कलिनेमि का छल पहिचान्यो,
द्रोणागिरी संजीवनी लायो,
नाग पांस इन्द्रजीत चलायो,
प्रभु को नाग पांस में बांध्यो,
गरुड़ बुलाई पांस को कट्यों,
भव भय भंजन नाथ हमारो,
अहिरावन ने प्रभु हरि लीन्हा,
बलि देने का प्राण खल कीन्हा,
गयो पताल बाध्यो अहिरावन,
दीन्ह्यो खल को गति अति पावन,
महाभारत का रन जब आयो,
धर्म हेतु प्रभु आप पधारयो,
अर्जुन के ध्वज की रक्षा कर,
धर्म विजय प्रभु आप करायो,
संतन को तुम पालक हो प्रभु,
दुष्ट, दनुज सब तुमसो कांपें,
राम भगति में मगन रहो प्रभु,
ब्रम्हचर्य का व्रत तुम पाल्यो,
जो नर प्रभु में ध्यान लगावे,
सब दुःख तजि सद्गति को पावे,
संकट मोचन वीर महा प्रभु,
मम उर बसि, मोहें प्रभु तारो,
- डॉ. सुधीर कुमार शुक्ल 'तेजस्वी"
श्रीयुत डा० तेजस्वी जी,
जवाब देंहटाएंअत्यंत प्रमाणिक व सार्थक है आपकी रचना महावीर हनुमान पर. साधुवाद.
हम श्री राम भक्त हनुमान जी को समर्पित व उनके असंख्य अनगिन श्रद्धालुओं के उपयोगार्थ एक समग्र पोर्टल के विकास हेतु संलग्न हैं.
आशा है आपका सहयोग हमें मिल सकेगा.
कृपया संपर्क में रहें.
सधन्यवाद,
राजेब्द्र जैन
आदरणीय राजेंद्र जी!!
हटाएंउत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद् ! कुछ दिनों के लिए भारत चला गया था तो व्यस्त होने की वजह और इन्टरनेट न मिलने की वजह से जवाब देने में देरी हुई, क्षमा चाहता हूँ !
आप आज्ञा करिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार अवश्य ही देव कार्य में सहयोग करूंगा ।
पुनः धन्यवाद् !
साभार !