नेहरू काल से कांग्रेस देश से गद्दारी कर रही है !


कांग्रेस का उदय देश मे शासन व्यवस्था भारत के शिक्षित वर्ग के अधिक प्रतिनिधित्व के लिये अंग्रेज़ों द्वारा हुआ था, शुरुआती दौर मे नही माना गया था की भारत के स्वतंत्रता संग्राम मे कांग्रेस कोई सकारात्मक भूमिका अदा करेगी, अपितु शिक्षित वर्ग को क्षद्म संतुष्टि प्रदान करना इसका उदेश्य था ताकि अंग्रेज़ों के शासन को अधिक मजबूत किया जाये ! परंतु तब भारतीयों मे राष्ट्र प्रेम अधिक था, और कुछ ही सालों मे बालगंगाधर तिलक और गोपालकृष्ण गोखले के नेत्रेत्व मे कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम का मोर्चा  संभाल लिया ! दादाभाई नौरोजी से लेकर महात्मा गाँधी, मोतीलाल नेहरू, सुभाषचंद्रा बोस, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलम आज़ाद और अन्य नेताओं ने कांग्रेस मे रहकर निःस्वार्थ लड़ाई लड़ी ! 1912-13 मे जब गाँधी जी की कांग्रेस मे तूती बोलती थी जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस मे शामिल हुये और गाँधी के नजदीक आने लगे, एक तरफ जवाहरलाल का कद भी बढ रहा था दूसरी तरफ गाँधी के प्रिय बन गये...उसी दौरान जिन्ना भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक कद्दावर नेता थे, जो की पहले कॉंग्रेस मे थे बाद मे मुस्लिम लीग मे चले गये ! जब भारत के आज़ाद होने की बारी आई नेहरू और जिन्ना दोनो भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर टकटकी लगाये बैठे थे, गाँधी ने नेहरू और जिन्ना दोनो को समझने की कोशिश की पर दोनो अपने स्वार्थ मे इतने मग्न थे की कुर्सी के खारित देश के दो टुकड़े कर दिये !! उसी दौरान कांग्रेस के अधिवेशन मे सरदार पटेल को नेहरू की तुलना मे बहुमत से प्रधानमंत्री का उम्मेदवार चुना, इस पर नेहरू ने कॉंग्रेस के विभाजन की धमकी दे डाली, और स्थिति ये थी की अगर कॉंग्रेस का बटवारा हो जाता तो देश स्वतंत्र नही हो पता, इस पर गाँधी जी ने सरदार पटेल से बात की और उन्होने देश के लिये प्रधानमंत्री का पद  लेने का फैसला किया ! कश्मीर विवाद भी नेहरू की ही देन है क्योंकि वो अपने प्रिय राजा हरि सिंह को शासक बनाये रखना कहहते थे, और इस बाबत उन्होने सरदार पटेल को पत्र भी लिखा था, बाद मे जब पाकिस्तान ने हमला कर दिया और हरि सिंह ने हाथ खड़े कर दिये तब इन्होने शेख अब्दुल्ला को समर्थन दिया! नेहरू जी के दूषित चरित्र के बारे मे आम जनता को भी पता है की वो एक ऐय्यस किस्म के व्यक्ति थे !! इंदिरा जी ने सरकार के भ्रस्टाचार के खिलाफ विपक्ष द्वारा किये गये जन आन्दोलन को जिसतरह आपातकाल लगाकर दमन किया उससे उनकी तानासाही और क्रूर प्रवृत्ति जागृत होती है...इस मामले मे बाद मे उन्हे जेल तक जाना पड़ा था ! इन्दिरा गान्धी तक आते आते कॉंग्रेस नेहरू-ख़ान परिवार ( तथा कथित नेहरू- गाँधी परिवार) की बपौती बन चुकी थी, जिस तरह से इंदिरा गाँधी ने अपने अंदर और बाहर के विरोधियों का दमन किया इस परिवार का एक छत्र बर्चस्व कॉंग्रेस और देश मे हो गया ! उसके बाद कमान आई राजीव गाँधी के हाथ मे, वैसे तो वो सरल व्यक्ति थे परंतु जिस परिवार की परम्परा को वो आंगे बढ़ा रहे थे उन्होने भी कमेतर वही किया जो पूर्वजों ने किया था, सिक्ख दंगों मे तत्कालीन कॉंग्रेस नेत्रेत्व का ही हाथ था, बोफोर्स तो दलाली मामले से कॉंग्रेस का असली चेहरा सामने आने लगा, जो बातें शायद नेहरू और इंदिरा के जमाने मे लोग उठाने से डरते थे, या ऐसे लोगों का दमन कर दिया जाता था, अब खुलकर सामने आने लगे, 1999 मे एन.डी.. के शासन मे आने के बाद राजीव गाँधी, बिन चड्ढा और क़ुआत्रोची के खिलाफ सी. बी. आइ. ने आरोप पत्र दाखिल किया, उसके बाद जैसे ही 2004 मे कांग्रेस की सरकार दुबारा आई, और राजीव iधी और अन्य को बरी कर दिया गया ( आप खुद समझ सकते हैं की सरकारे किस तरह सी. बी. आइ. और यहाँ तक की न्यायालय का उपयोग अपने लिये करती हैं)! राजीव गाँधी के बारे मे लोगों का ये कहना है :  the whistleblower – retired head of Swedish police Sten Lindstrom – claims the former prime minister didn’t do enough to prevent the cover up of the scandal. “He watched the massive cover-up in India and Sweden and did nothing,” Mr. Lindstrom. उसके बाद ऐसा समय आया जब कुछ समय तक कांग्रेस की बागडोर नेहरू-ख़ान परिवार से दूर रही, नरसिंघरव और सीताराम केसरी के पास इस समय कांग्रेस की तो सांस टूट रही थी पर देश के प्रति ये जो करते आरहे थे तब भी नही छोड़ा, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा रिश्वत मामले से लेकर, सुखराम का टेलीकॉम और हवाला काण्ड इसी दौर मे हुआ, फिर आया सोनिया माइनो I का दौर, सभी कांग्रेसी इस विदेशी औरत की तरफ ऐसे दौड़े जैसे भेड़ दौडती है...और आज के घोटालों की फेहरिस्त आपके पास है 2 जी, सी. डब्ल्यू. जी., आदर्श, इंदिरा गाँधी एअरपोर्ट, कोल, सिचाई घोटाला..और अब राबर्ट बढ़ेरा और डीएल.एफ. घोटाला, अभी आइरन ओर घोटाले के बारे मे भी कुछ सुगबुगाहट हो रही है ! सोनिया जी के दामाद को किसी भी एरपोर्ट पर सेक्यूरीटी चेक की जरूरत नही है, केवल इस वजह से की वो एक राजनीतिक फैमिली के दामाद हैं.और सबसे बड़ी बात ये है की ये तो सभी बाते वो हैं जो बाहर आरही है, ऐसी जाने कितनी बड़ी- बड़ी बातें होंगी जो हम-आप तक नही पाई ! इसके अलावा पश्चिम बंगाल और पूरोत्तर मे बांग्लादेशियों की घुसपैठ एक ऐसा मुद्दा है जिसमे कांग्रेस सिर्फ वोट के लिये देश की और देश के नागरिकों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही है, और लगातार इस घुसपैठ को बढ़ावा ही नही संरक्षण भी दे रही है,...अब आपको खुद ही पता चल गया होगा की ये कांग्रेस और खासकर माइनो- ख़ान फैमिली देश के साथ क्या कर रही है और जिस लोकतंत्र को पाने के लिये देश के लोगों ने खून बहाया वो अभी भी राजतंत्र है, और सिर्फ एक ही परिवार देश पर शासन कर रहा है..वो है मायनो-ख़ान परिवार !!




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