भारत सरकार स्वतंत्रता दिवस पर एक बहुत बड़ा तोहफा देने वाली है "गरीबों के लिए मुफ्त में मोबाइल" हम सब को खुश होना चाहिए कि सरकार गरीबों के बारे में कितना सोचती है, और उम खुश भी हैं, ये कितनी ख़ुशी कि बात होगी कि जब भारत का प्रधान मंत्री लाल किले में तिरंगा फहराएगा तब भी उसे ये चिंता रहेगी कि अंगली बार सत्ता कैसे पायी जाये, इसकी कपट चाल उसके मन में चलती रहेगी, और तभी वो इस योजना की घोषणा करेगा, और परदे के पीछे बैठे आकाओं के मन में एक संतोष भरी मुस्कान उभरेगी, " चलो अगली बार का भी काम
हो गया " ... आप सोच रहे होंगे कि मैं विषयांतर हो रहा हूँ..पर ऐसा नहीं है......सत्य यही है..कि हमारे नेता ऐसा ही सोचते हैं......
१. गरीब मोबाइल फ़ोन पाकर खुश हो जायेगा और कांग्रेस को दुबारा वोट देगा, और १-१ मोबाइल के बहाने ६० लाख गरीब परिवारों तक कांग्रेस की पैठ बन जाएगी.
२. जब १ बार गरीब को मोबाइल फ़ोन और २०० रुपये का लोकल टॉक टाइम फ्री में मिल जायेगा, तो गरीब की आदत बन जाएगी और वो बेचारा अपने खाने के पैसे से, बच्चों के पढाई के पैसे और यहाँ तक की दवाई के पैसे में कटौती कर फ़ोन रिचार्ज कराएगा और इन अरबपति मोबाइल ओपेराटोर्स की तिजोरियां भरेगी और फिर वो पैसा घूम कर कांग्रेस के पास चला जायेगा. और गरीब और गरीब होता जायेगा.
३. चूँकि ये योजना गरीबों से जुडी है इसलिए इसका विरोध भी कोई नहीं करेगा, और यदि विपक्ष इसका विरोध करता है तो कांग्रेस वाले लोगों से बोलेंगे विपक्ष गरीब विरोधी है और इसका फायदा वोट के रूप में कांग्रेस को मिलेगा.
ये कांग्रेस ने इतना क्रूर और अचूक अस्त्र चलाया है की, गरीब मरता रहेगा और कुछ बोलेगा भी नही और कांग्रेस एक बार फिर से २०१४ में सत्ता हथियाने में कामयाब हो जाएगी.
मुझे दुःख इस बात का होता है की क्या इसी दिन के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण दिए थे कि शासक वर्ग आम जनता को एक वस्तु की तरह इस्तेमाल करे. और अपने वोट के लिए "उन्ही की रोटी छीन कर उसका खिलौना बना कर उन्हें बेचे" . ये हमारे देश का दुर्भाग्य है की सरकार इसतरह की योजना बनती है सिर्फ अपने को सत्ता में लाने के लिए या फिर सत्ता में बनाये रखने के लिए..फिर चाहे ये मुफ्त की मोबाइल योजना हो, मिड डे मील हो, किसानो को मुफ्त में बिजली देना हो या स्कूल के बचों को फ्री लैपटॉप देना हो, इन सबके पीछे सरकार या पार्टियों की सिर्फ और सिर्फ १ मंशा होती है सत्ता हथियाना, न की लोगों का भला. ( मैं अपने अनुभव से बता रहा हूँ मुफ्त में किसानो को बिजली और संविदा शिक्षक कि बदौलत दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में १० वर्षों तक राज किया और राज्य कि हालत इतनी ख़राब हो गई थी कि न सड़के थी और न बिजली यहाँ तक कि १० सालों तक सरकार ने किसी भी पद कि नियमित भारती नहीं कि यहातक कि राज्य लोकसेवा आयोग के पदों कि भी नहीं और परिणाम ये हुआ कि उस समय जो पढ़ा लिखा २०-२५ साल का युवा सुनहरे भविष्य के सपने देख रहा था वो या तो हल पकड़ लिया, या संविदा शिक्षक कि नौकरी कर लिया, और सोचने वाली बात ये थी कि पहले पञ्च वर्ष ( शासन काल ) में भारती कर्मचारियों को दूसरे पंचवर्ष में रेगुलर करने का भरोसा दिलाया जिसे डर कि वजह से सभी लोग कांग्रेस को ही वोट दे कि कही दूसरी सरकार आगई तो इन्हें निकाल न दे , ये एक इन गंदे राजनेताओं का और इनकी घ्रणित और स्वार्थी नीतियों का उदाहरण था)
ये इनकी सोची समझी चाल है ये न तो इस देश से अशिक्षा हटने देंगे नहीं गरीबी क्योंकी जिसदिन ये दो अभिशाप भारत से हट गए उसदिन इन स्वार्थी, और लालची लोगों का उल्लू सीधा नहीं होगा, उसदिन न इनका ये लोलीपोप कामदेगा और नहीं जातिगत और धर्मगत वोट का विभाजन.
हमे नेताओं की इस चल को समझना होगा और उनके खिलाफ आगे आना होगा.
जय हिंद!! जय भारत जन!
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