गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

तब तो मुझे अपने भगवन के अस्तित्व पर भी शंका करनी पड़ेगी !


आज समाचार माध्यमों से पता चला, मोदी जी का मंदिर राजकोट में बनाया गया है, उसमे बाकायदे मोदी जी मूर्ती रूप में विराजमान है।  अगर गौर से देंखे तो मंदिर का दृश्य कुछ हनुमान जी के मंदिर से मिलता जुलता है।  यह तस्वीर देखते ही मेरे मन में पहला जो ख्याल आया वो यह था, " कहीं ऐसा तो नहीं की हमारे सभी भगवन झूंठे हों?" ये राम भगवान, भोलेनाथ, मातारानी, बजरंगबली, कहीं इनके भी मंदिर इसी तरह से तो नहीं बनाये गए जिसतरह मोदी का बनाया गया है।  परन्तु मैं तो एक धार्मिक व्यक्ति हूँ, अपने भगवान पर शंका कैसे कर सकता हूँ।  फिर सोचने लगा पर मैं पढ़ा - लिखा भी तो हूँ, इन बातों को तर्क से भी तो सोचना पड़ेगा। सिर्फ अंध भक्ति से काम थोड़ी चलेगा।  

मेरे धार्मिक देश में ऐसे कई उदहारण आये जब लोगों के मंदिर बनाये गए धोनी से लेकर सोनिया और  मोदी तक।  कई व्यक्तियों ने खुद को भगवान घोषित कर दिया, बाबा राम रहीम आदि।  पर मैं जितना भगवान के बारे में पढता हूँ, और उनकी इन आधुनिक देवों से तुलना करता हूँ तो पता हूँ की, पहले वाले भगवान तो ऐसे नहीं थे। इतने सारे अत्याचार, भष्टाचार, अभिमान, अनीति ये सब तो मुझे उनमे नहीं दीखता।  हो सकता है पुराने वाले भगवान सही हो, और नए देव गलत।  परन्तु ऐसा भी तो हो सकता है, की जो किताबें हमलोग भगवान्  के बारे में पढ़ रहे हैं वो भी गलत बताती हों। क्योंकि अभी कोई आधुनिक भक्त आएगा और इन नव- देवों पर कोई किताब लिख देगा।  फिर क्या !!

तो क्या मेरा यानी हमारा धर्म अँधा है जैसा की आलोचक कहते हैं, हालाँकि अबतक मैं ऐसा नहीं मानता था।  परन्तु, इन नव - देवों  की प्राणप्रतिष्ठा से मेरा आत्म विश्वास भी काम होने लगा है, मेरे मन में शंका का एक बीज अंकुरित होने लगा है, कहीं ऐसा तो नहीं की जो हम अपने पुराणो, धार्मिक ग्रंथों में पढ़ते हैं वो सब झूठ है।  सबको झूठा ही महिमामंडित किया गया है।  
क्योंकि अगर धोनी, मोदी, सचिन, रामरहीम आदि सब भगवान हैं तो, मेरा हुनमान भी असली नहीं होगा।  मेरा वो हनुमान जिसकी मैं रोज दोनों पहर पूजा करता हूँ।  मेरा वो हनुमान जिसपर मुझे सबसे ज्यादा भरोसा है।  मेरा वो हनुमान जो धर्मकी प्रतिमूर्ति है।  मेरा वो हनुमान जिसने हमेशा परमार्थ किया।  मेरा वो हनुमान जो ब्रम्हचारी है।  मेरा वो हुनमान जो हर स्त्री का सम्मान करता है। क्या वो भी झूठा है ?  कही ऐसा तो नहीं की से सब काल्पनिक है ?  कहीं ऐसा नहीं के मेरे हनुमान को किसी सनकी - पागल, अंध भक्त ने बनाया है।  असल में मेरा हुनमान ऐसा था भी की नहीं ?

इन सब सवालों का तो जवाब मेरे पास नहीं है, और आपके भी पास नहीं होगा। 

परन्तु समाधान जरूर है, मोदी के पास और हमारे पास भी।   अगर हमे सचमुच अपने भगवान की परवाह है, अपने धर्म से प्यार है, भारत की संस्कृति का सम्मान है, तो हम सबको ऐसे आडम्बरी अंधभक्तों के कारनामो को रोकना होगा।  ऐसे में मोदी जी जो खुद के हिन्दू होने पे गर्व  करते हैं उन्हें इस मंदिर और इसतरह के सभी "नव - देवों" के मंदिरों, या कोई भी ऐसी इमारत जिसमे इन मानवों को देवत्व देने की कोशिश की गई है, को गिराने का आदेश तुरंत देना चाहिए।  और ऐसा क़ानून लाना चाहिए जिससे इन अंधभक्तों के कृत्यों पर रोक लग सके।  और हमारे हिन्दू धर्म की दिव्यता बरक़रार रहे जिसपर हम गर्व करते हैं।  

पर क्या मोदी ऐसा करेंगे ? देखते हैं ! 

और अगर ऐसा नहीं हुआ तो अंदर से ही सही पर मुझे मेरे भगवान पर शंका होती रहेगी।  और पता नहीं वो शक कब सच में रूपांतरित हो जाय।  

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

मुबारक हो आपको अपनी सरकार !


विजय है ये "आप" की, 
आपके विश्वास की,
हर गरीब- अमीर की, 
निर्भया के आंसू  की,

मौका भी है, ताकत भी,
और दिल्ली का विश्वास भी,
अब दिल्ली को सवारना है,
सबके आंसू पोछना है,

अहंकार को कुचल कर,
अत्याचार का दमन कर,
आम जन की कर सेवा,
महिला का हो सम्मान,

सब हो सुखी, सब हो खुशहाल,
दिल्ली के धन पर , 
गरीब का हो पहला अधिकार,
मुबारक हो आपको अपनी सरकार, 

रविवार, 1 फ़रवरी 2015

सोच कर वोट दो !



आज जो जगे नहीं, आज जो उठे नहीं,
देश की पुकार को, आज जो सुने नहीं,
घडी गुज़र जायेगी, देश रूठ जाएगा, 
लाखों, करोड़ो की आस टूट जायेगी,

लालच मेंआकर, बेंच दिया वोट को जो, 
बच्चों के सपनो पे, ग्रहण लग जाएगा,
भारत का सुनहरा कल, दूर चला जायेगा,
एक "सुनहरा चिराग" असमय बुझ जायेगा, 

बहुत हुआ दंगा, बहुत हुआ जातिवाद, 
बहुत हुई नातेदारी, बहुत हुआ डर का साथ,
करके गुमराह तुम्हे, कुर्सी जकड़ते हैं,
लूटकर तुम्हे ही, तुमसे ही अकड़ते हैं,

तुम नहीं अशक्त, किन्तु तुम तो सशक्त हो, 
अपनी मतदान की, शक्ति को पहचानो,
इसबार बहकावे में आकर,  वोट को फेंक दो,
एक दानदाता की तरह 'पात्र' को ही वोट दो,  


सजग रहो, अडिग रहो, पूर्वाग्रह त्याग दो,
एक बार देश के खातिर, सोच कर वोट दो, 
अपने बच्चों के खातिर, सच्चे को वोट दो.
एक बार तो  "सत्यमेव जयते"  का साथ दो,