गुरुवार, 19 जनवरी 2012

जननी



तू है जननी, जीवन तारिणी,
तू ही धरा और, प्राण तू ही है,
तू ही मेरा, है जग सारा
जीवन का, संचार तू ही है,

तू है मैया, जीवन नैया,
मेरा ज्ञान पुंज ही तू है,
मेरा ईश्वर और परमेश्वर,
मेरी तो पहचान तू ही है

तेरे अमृत पय में मैया,
जीवन शक्ति हिलोंरे लेती,
तेरे निर्मल अश्रु धार से,
ममता जैसे छल, छल करती

अपनी संतानों के खातिर,
सारे दुःख तू हंस कर सहती,
संकट दिखा अगर जो उनपर,
माँ दुर्गा बन संकट हरती,

मेरा तो अस्तित्व तुझी से,
तुझसे ही मेरी परिभाषा,
तेरे इन पावन चरणों में,
कोटि-कोटि मैं, शीश नवाता,

सुधीर कुमार शुक्ल " तेजस्वी"

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