प्रिय मित्रों!!
इसके पीछे मेरा तर्क पशुओं की भलाई और जैव विविधता का संरक्षण ही है, एक उदाहरण देता हूँ, कुछ साल पहले तक बैलों, नर भैसों का उपयोग कृषि कार्यों में होता था, तब हम हर जगह गाँव में बैल और नर भैसे देखते थे, आजकल नर भैसा तो देखने को ही नहीं मिलता और बैल भी गायब हो रहे हैं, प्रश्न ये उठता है जब गायों और भैसों में प्रजनन उसी तरह हो रहा है वस्तुतः गायों और मादा भैसों की संख्या बढ़ी है तो इनके नर पशु कहा गए, उत्तर सबको पता है, हम मनुष्यों ने उन्हें वैध या अवौध रूप से मार कर खा लिया,
अब प्रश्न ये उठता है की हमें पशुओं का संरक्षण कैसे करना है, तो मेरी नजर में एक ही उत्तर है, पशुओं को हमारे जीवन में अधिक उपयोगी बना कर. हाँ हम अपने रोजाना कार्यों जैसे सवारी करना, खेत में या मॉल धुलाई में उनका उपयोग कर सकते हैं, हाँ यहाँ शर्त ये हैं की पशुओं से काम लेना चाहिए न की उनका शोषण करना चाहिए. जैसे हम अपने घरके सदस्यों से काम लेते हैं खुद भी काम करते हैं, काम करना कोई बुरी बात नहीं है परन्तु शोषण नहीं होना चाहिए,
जब कोई चीज हमारे लिए उपयोगी होती है उसकी महत्ता हम समझते हैं और उसका संरक्षण और संवर्धन बिना किसी टालमटोल के करते हैं, और अनुपयोगी चीज का किसी तरह उपयोग करना या नष्ट करना मानव स्वभाव में निहित है, अतः जैसे - जैसे नर पशुओं का हमारे जीवन में उपयोग काम हुआ हमने या तो सस्ते दामों में मवेशी खरीदने वालों को बेचना शुरू किया जो विदेशों में पशुओं का व्यापर करते हैं जो अंततः बेरहमी से मार दिए जाते हैं और किसी का भोजन बन जाते हैं, या अपने पासके बूचड़ खाने में बेचना शुरू किया जो उन्हें मारकर पास के बाजार में बेच देता है, मैं आपको एक बात याद दिलाना चहता हूँ की आज से १५- २० साल पहले भारत में बकरे के मांस को भोजन के लिए उपयोग किया जाता था न की बैल और भैस का इसके पीछे कारण ये था की बकरों का और कोई उपयोग नहीं था परन्तु बैलों और भैसों का खेती और मालवाहन में उपयोग होता था, और अब जबसे बैलों और भैसों का उपयोग दैनिक जीवन में बंद हुआ है, इनको भी काटकर भक्षण किया जाने लगा है, इसीलिए यदि पशुओं को हमारे दैनिक जीवन में अधिक उपयोगी बनाया जा सके तो वो पशुओं के लिए और हमारे लिए भी अच्छा होगा, हम उनकी बर्बर मृत्यु से रक्षा कर सकते हैं,
पशुओं के दैनिक कार्यों में उपयों से अन्य लाभ ये भी हैं, पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव, तेल के दाम घटेंगे, आर्थिक दशा मजबूत होगी, हमारी अन्य देशों पर तेल के लिए निर्भरता काम होगी, और इसके अलावा हम जैव विविधता के संरक्षण में योगदान देंगे, और इससे भी बढ़ कर आज जो पशुओं को निर्दयता से मार कर थाली में परोस दिया जाता है, उससे भी पशुओं की रक्षा होगी,
अतः मेरे विचार से न केवल पशुओं नैतिक एवं मानवीय रूप से दैनिक कार्यों में उपयोग करना चाहिए, अपितु इसका बढ़ावा देना चहिये!!
( यहाँ मैं एक बात और स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मेरे ये विचार सिर्फ पशुओं के संरक्षण के एक आयाम के लिए हैं, जो पशुओं को मानव उपयोगी बना कर उनका संरक्षण करना है, इसके अलावा मादा एवं अन्य उपयोगी पशुओं जैसे; गाय, बकरी, हिरन, मुर्गी इत्यादि कि जो बर्बरता से हत्या कि जाती है मैं उसके खिलाफ हूँ और उसकी घोर निंदा करता हूँ)
आग्रह: मेरी आप सभी पाठकों से प्रार्थना है की इसे अधिक से
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धन्यवाद्!
ANCIENT INDIAN PHILOSOPHY |
Bilkul tarkik baat kahi hai aapne sudheer ji.... Apka ye pryas bahut sarahneey hai....
जवाब देंहटाएंBahut bahut dhanyawad veer ji...
हटाएं. Very true...chachu.....bahut sahi lika aapne...bahut saare cruel fact pata chale....
जवाब देंहटाएं. Very true...chachu.....bahut sahi lika aapne...bahut saare cruel fact pata chale....
जवाब देंहटाएंThanks beta!! take care..
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