देखो भाई मन्नू बोला !!



कल शाम को मेरे गाँव में मिठाइयाँ बँट रही थी, पटाखे फूट रहे थे, गान -तान हो रहा था, मैंने एक बुजुर्ग से पूछा चाचा जी! ये गाँव में इतनी खुशियाँ क्यों मनाई जा रही हैं ? चाचा जी ने बताया बेटा वो मन्नू है ना आठ साल में उसने पहली बार जुबान खोली सब खुश हैं, लोग सोचते थे मन्नू आठ साल का हो गया अभी तक एक बार भी नहीं बोला गूंगा है क्या. मैंने अपनी युवा याददाश्त में गोते लगाये और बोला चाचा अभी तो कुछ दिन पहले वो बोला था, जब अपने दोस्तों के साथ खेल- खेल में कोलगेट खा गया था? चाचा ने कहा नहीं पगले वो बोला नहीं था, तब तो उसने यह कहते हुए अपनी मजबूरी जाहिर की थी की " हजारो सवालों से बेहतर है मेरी ख़ामोशी.......". मेरे दिमाग की भी बत्ती जली और मैंने भी भारत के प्रथम "मूक प्रधान मंत्री" के "प्रथम- बोल संस्कार"  के उपलक्ष में खुशियाँ मनानी शुरू कर दी. ये सुअवसर था नरेद्र मोदी के द्वारा सोनिया गाँधी के विदेशी दौरे पर नाजायज खर्चे के लगाये गए आरोप पर सफाई देना......मुझे काफी ख़ुशी हुई की जिस मन्नू ने पिछले आठ सालों में किसी भी राष्ट्रीय या अन्तराष्ट्रीय मुद्दे या भ्रष्टाचार के आरोपों पर किसी में भी अपनी जिह्वा को तकलीफ नहीं दी, उसने आखिर अपनी माँ  "मैडम जी" के बचाव में ही सही मुंह तो खोला....और इतना ही नहीं एक समझदार बुजुर्ग की तरह बाकायदे सफाई दी कि माँ के लिए कोई नाजायज खर्च नहीं हुआ, ये सभी आरोप गलत और बेबुनियाद,

आप सभी देश वासियों को भी बहुत- बहुत बधाई हो.......!! 

आशा है हमलोग मन्नू के सुवाक्य भविष्य में भी यदाकदा  सुनते रहेंगे...

बाकी आप खुद ही समझ सकते हैं कि मन्नू के लिए क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है देश या मैडम !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें