नेता जी अंडर ग्राउंड हो गए !!




अंडर ग्राउंड या भूमिगत कोई तभी होता है जब जमीन के उपर रहना उसके लिए खतरे से खाली नहीं रहता, हमने भूमिगत होते किसी अंडर वर्ल्ड डोन ( भाई )को ही सुना था. जब पुलिस  हाँथ धो के उन लोगो के पीछे लग जाती है तो वो जमीन के नीचे चले जाते हैं. जमीन के नीचे जाने का मतलब ये नहीं है की वो जमीन फाड़ कर उसमे घुस जाते हैं, परन्तु सामाजिक  जमीन में रहने वाले लोगों से ओझल हो जाते हैं. आपने किसी सामान्य व्यक्ति के लिए भामिगत होने की घटना कभी नहीं सुनी होगी, इसका मतलब भूमिगत सामान्य लोग नहीं होते, सिर्फ असामान्य लोग होते हैं, जो सामान्य नहीं हैं वो असामान्य हैं, इसका मतलब ये भी हुआ की वो इस जमीन में रहने लायक नहीं हैं, या दूसरे शब्दों में जमीन के लिए भार स्वरुप हैं. यह एक प्रथा की तरह अंडर वर्ल्ड  में विद्यमान है, हर एक भाई को इस प्रथा  का पालन अपने जीवन काल में कभी न कभी करना ही पड़ता है. 

 मैं इस प्रथा का प्रसार राजनेताओं में ज्यादा देखा रहा हूँ, जरूरी भी है, परिवर्तन तो आपको करना ही पड़ेगा अगर सर्वाइव करना है, और अच्छी बात कही से भी मिले सीखना चाहिए, और ये भी सत्य है की राजा को किसी बात का दोष नहीं लगता चाहे वो कुछ भी करे, इसी लिए आज कल  नेताओं का भूमिगत होना बहुत देखा जारहा है, जो भी नेता कोई इतना बड़ा काम करदेता है की मुह दिखाने लायक नहीं रहता, वो भूमिगत हो जाता है...जैसे अभी हाल में माननीय अभिषेकमनु सिंघवी जी के साथ हुआ, कुछ दिनों तक  किसी भी समाचार चैनल  या किसी वार्तालाप में सिंघवी जी जरूर होते थे. उन्होंने एक वकील जो जज  बनाने का प्रयास क्या किया, उन्हें भूमिगत होना पड़ा, नेताओं के भूमिगत होने की वजह विषम परिस्थियों में अपनी इज्जत का फलूता होने से बचना है, जिनको पता है जनता की याददाश्त कम होती है, जब सबकुछ सामान्य हो जाता है, ये जमीन से ऊपर आजाते हैं, जैसे कोल्ड स्टोरेज में रखे बीज  कुछ समय बाद वापस निकल लिए जाते हैं,
अब ध्यान देने वाली बात ये है की जब बीज कोल्ड स्टोरेज  से बाहर आते हैं तो उनकी उत्पादकता कम नहीं होती, नहीं उनके गुणों में कोई बदलाव आता, बिलकुल इसी तरह इन महान नेताओं के साथ  है, ये अपना गुण  बिलकुल नहीं छोड़ते, बल्कि अपनी संचित उर्जा का ज्यादा उपयोग कर अपनी संतति बढ़ाते हैं.

उदाहरनार्थ मैंने सुखराम  के समय पहली बार घोटाले का नाम  सुना था, उसके बाद उनकी संतति  इतनी बढ़ी की, लालू से लेकर, शिबू , बंगारू, मधु कोड़ा, ए. राजा, कलमाड़ी, तक  फल फूल रही है....कुछ नेताओं की चमड़ी इतनी मजबूत होती है की उन्हें कोल्ड स्टोरेज  में जाने की जरूरत नहीं पड़ती जैसे,...एन. डी. तिवारी, पी. चिदंबरम , लालू, आदि.....इनके ऊपर कितने भी कोई कालिख पोते इन्हें कोई प्रभाव नहीं पड़ता!!

कई बार मुझे अभिषेकमनु सिंघवी जी पर तरस भी आता है की जज बनाने  का इतना बड़ा मूल्य चुकाना पड़ा, परन्तु कई बार सोचता हूँ ये सर्वाइवल की युक्ति है, जैसे जनता की याद धूमिल हो जाएँगी, नेता जी बहार आजायेंगे..और सीना ठोककर...और जज बनायेंगे!!

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