केजरीवाल पागल हो गया है !!



केजरीवाल को उसके आलोचक पागल कहते हैं, मैं भी उसको पागल कहता हूँ, वो बिलकुल पागल है, जब जब मैं उसको सुनता हूँ तो लगता है इतना पागल आज के ज़माने में कोई नहीं है, क्यों की वो जनता की बात करता है, देश की बात करता है, ऐसा पागलपन या तो मीरा, कबीर, तुलसीदास, कालिदास में था, या फिर महात्मा गाँधी, भगत सिंह, नेताजी, लालबहादुर शास्त्री जी जैसे देशभक्तों में  था, जो देश के बारे में सोचते थे, केजरीवाल को जबजब सुनता हूँ  ऐसा एहसास होता है की भारत माँ की कोख में अभी भी पागल लोग, दीवाने लोग पैदा होते हैं, अभी भी ऐसे लोग पैदा होते हैं जो भारत माँ के लिए उनकी संतानों के लिए लड़ना जानते हैं, आज भी उसको पहाड़ की तरह हो रहे भ्रष्ट तंत्र से लड़ने का पागल पन है, आज भी वह इन बलिष्ठ लोगों के सामने झुकना नहीं जनता,  आजकी अवसरवादी और स्वार्थी समाज में यदि कोई ऐसा व्यक्ति है तो वो पागल ही कहलाता है क्योंकि उसे संत तो कह नहीं सकते. जिस समाज में आदर्शवाद को मूर्खता और देश प्रेम को पागलपन समझा जाता हो, उस समाज से इससे ज्यादा की आशा भी नहीं करना चाहिए..

मैं केजरीवाल के पागलपन को सलाम करता हूँ,  दुआ करता हूँ उसका पागलपन यूँही बना रहे और कुछ और लोग इसी तरह पागल हो जाएँ!! और मैं भी पागल होना चाहता हूँ!!


पागलपन को सलाम!!

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