नहा लो तुम यूँ बदन को घिस कर,
लगा लो शैम्पू, या सोप कितने,
नहीं धुलेगा मैल तुम्हारा,
रहेगा मैला मन जब तलक यूँ,
करालो चेहरे को ब्लीच कितना,
सजा लो चेहरा, लगा लो सेहरा,
नहीं
धुलेगी यूँ तेरी कालिख,
करेगा छल और कपट यूँ ही तू,
पहन लो कपड़े, हों ब्रांड जितने,
टशन बढ़ालो यूँ चाहे जितनी,
रहेगा तू यूँ निरा भिखारी,
नहीं है करूणा अगर जिगर में,
तुझे है गुरूर तेरे कद पर,
है दंभ तुझको तेरे हुनर पर,
बजेगा तू जैसे एक डफली,
चरित्र तेरा अगर जो बिगड़ा,
तुझे अगर दिखना है खूबसूरत,
लगा दे झाड़ू तेरे ही मन में,
मिटा दे व्यभिचार तेरे मन का,
न कर कभी अत्याचार फिर से,
धुलेंगे मन के जब दाग तेरे,
चुनेगा रस्ता जो हो सही वो,
बनेगा तेरा सफ़र सुहाना,
बनेगा फिरसे तू एक मानव,
-डॉ. सुधीर कुमार शुक्ल "तेजस्वी"
bahut khoob sudheer ji...
जवाब देंहटाएंBahut..bahut dhanyawad veer ji...........
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