गुरुवार, 8 मार्च 2012

होली गीत: डारो न मो पे रंग सावरिया




डारो न मो पे रंग सावरिया......... डारो न मो पे रंग-४ 

अबही तो है मोरी बारी उमरिया-२ 
करो न मोकाह तंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४

रंग परत मोरी चुनरी भीजत- २ 
आवत है मोहे लाज सवारिया, डारो न मोपे रंग-४ 

गाँव- नगर के लोगवा देखत हैं-२ 
सब मिल करिहैं हँसाई सवारिया, डारो न मोपे रंग-४ 

बरबस ही तूने पकड़ी कलाई-२ 
टूटत है मोरा अंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४ 

तुम तो लाला जनम के कपटी-२ 
जानूं मैं तोरो ढंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४ 

राधा के संग नेह लगावो - २ 
करत हो मोको तंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४ 

नेह करो फिर रंग लगाओ-२ 
करो न झूंठो तंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४ 

डारो न मो पे रंग सावरिया......... डारो न मो पे रंग-४ 

                                                     - डॉ. सुधीर कुमार शुक्ल " तेजस्वी" 

2 टिप्‍पणियां: