डारो न मो पे रंग सावरिया......... डारो न मो पे रंग-४
अबही तो है मोरी बारी उमरिया-२
करो न मोकाह तंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४
रंग परत मोरी चुनरी भीजत- २
आवत है मोहे लाज सवारिया, डारो न मोपे रंग-४
गाँव- नगर के लोगवा देखत हैं-२
सब मिल करिहैं हँसाई सवारिया, डारो न मोपे रंग-४
बरबस ही तूने पकड़ी कलाई-२
टूटत है मोरा अंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४
तुम तो लाला जनम के कपटी-२
जानूं मैं तोरो ढंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४
राधा के संग नेह लगावो - २
करत हो मोको तंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४
नेह करो फिर रंग लगाओ-२
करो न झूंठो तंग सवारिया, डारो न मोपे रंग-४
डारो न मो पे रंग सावरिया......... डारो न मो पे रंग-४
- डॉ. सुधीर कुमार शुक्ल " तेजस्वी"
Khoobsurat geetika sudheer ji....
जवाब देंहटाएंbahut.. bahut..dhanyawad veer ji....videsh me holi hai..aur ghar ko bahut miss kar raha hun....isliye likhdi...
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