ये जलजला है महाविनाश का,
ये सिलसिला है भ्रष्टाचार का,
मिलावट हर चीज में यहाँ
दिखावट है हर किसी में यहाँ,
यहाँ पे लगती सबकी कीमत,
यहाँ लुटेरे भरे पड़े हैं,
यहाँ है सबकुछ पैसा भाई,
खून के प्यासे घूम रहे हैं,
कोई किसी को यहाँ लूटता,
भरे शहर में नंगा करता,
कही किसी की अस्मत लुटती,
नहीं किसी प्यास है बुझती,
दूध चाहिए वहां मिलावट,
नोन चाहिए वहां मिलावट,
खून चाहिए वहां मिलावट,
प्यार चाहिए वहां मिलावट,
सभी जगह है भरी मिलावट,
लाज- शर्म में वही मिलावट,
बने शरीफ जो फिरते भाई,
उनके दिल में वही मिलावट,
नहीं सुरक्षित है यहाँ अबला,
बना भेड़िया है नर भाई,
बच्चों के परवरिस के खातिर,
माँ को नहीं समय है भाई,
कैसी है ये आफत आई,
ये है पतन की सीमा भाई,
नहीं जो तुमने आँखें खोली,
एक दिन तुम भी डूब मरोगे,
-डॉ. सुधीर कुमार शुक्ल "तेजस्वी"
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