सोमवार, 9 दिसंबर 2013

आप की विजय का पहला ये घोष है !





आप की विजय का, पहला ये घोष है,
ख़ास पर आम का, पहला ये वार है,

शाम, दाम, दंड, भेद, सब का एक भेद है,
जनसेवा, राष्ट्रधर्म अद्भुत ये मेल है,

बड़े- बड़े बाहुबली, धन के कुबेर हैं,
झाड़ू कि सींक लगी, पड़े सब ढेर हैं, 

सत्ता का मद था, धन का घमंड बड़ा,
जनता को लूट कर, भरे घर को चोर हैं,

आम आदमी कि आह और ये प्रकोप है,
आम आदमी का चला, वोट का ये जोर है,

राजा और प्रजा का, मिटा आज भेद हैं,
भारत का भाग्य खुला, घर में किलोल है,

जय भारत, जय जनता, यही आज घोष है,
पहली इस विजय है, चारो तरफ शोर है, 


वन्देमातरम ! 

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