दिल्ली चुनाव के बाद से सब आम आदमी पार्टी के सलाहकार बन गए हैं, चाहे वो कोंग्रेसी हो या बीजेपी वाला। बिना मागे सलाह बांट रहे हैं, "आप सरकार बना लो कुछ करो या न करो , अगर ऐसा नहीं करोगे तो बहुत बड़े धोकेबाज हो"। स्वघोषित बुद्धिमान मणिशंकर ऐय्यर ने तो आम आदमी पार्टी को "कायर" और "धोकेबाज"तक कह दिया। बीजेपी ज्यादा सीटों के बाबजूद सरकार बनाने पीछे हट रही है। और आम आदमी पार्टी पर आरोप लगा रही है कि वो दिल्ली कि जनता के साथ धोका कर रहे हैं। पिछले ३ दिनों में मुझे भी पता नहीं कितने मेल आये अनजान लोगों के, जो बोल रहे हैं कि अगर आम आदमी पार्टी सरकार नहीं बनाती तो वो धोकेबाज है.…और पता नहीं क्या…क्या । अब समझने वाली बात ये है कि, बसपा को तोड़कर और भ्रष्टोत्तम शीबू, मधुकोड़ा आदि के साथ सरकार बनाने वाली बीजीपी, सरकार क्यों नहीं बनाना चाहती है, और उसे आम आदमी की सरकार बने इसकी ज्यादा चिंता क्यों है। इस बात पर मुझे बचपन में मेरे साथ घटी एक घटना याद आगई; मेरा एक चचेरा भाई था, हम दोनों हमउम्र थे और बहुत अच्छे दोस्त भी, एक बार हम दोनों किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हुए थे, हमारे रिश्तेदार के बेटों ने जो उम्र में हम दोनों से बहुत बड़े थे, शरारत में दोनों को कीचड में फेकने कि ठानी, हम दोनों भागते और वो लोग हमे खदेड़ते। मैं खुद को बचाता और जब कभी मौका मिलता अपने भाई को भी बचाने की कोशिश करता। अंततः उनलोगों ने मेरे भाई को पकड़ कर कीचड में फेक दिया। अब मैं बचा था, वो लोग मेरे पीछे पड़ गए, मैं भाग रहा था, तभी पीछे से आवाज आई …इसे मत छोड़ना ! … इसे मत छोड़ना ! … नहीं तो ये घर जाकर खुद के मुझसे बेहतर बतायेगा ! .... मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मेरा भाई उनलोगों से चिल्ला- चिल्ला कर कह रहा था, और उनका साथ भी दे रहा था, मुझे पकड़ने में। ....... इस कहानी से ये बात समझ में आती है कि जब आप खुद गंदे हो तो दुसरे को भी गन्दा करना चाहते हो। आज जो कांगो-बीजेपी आम आदमी पार्टी को सरकार बनाने के लिए, कई तरह के दबाव, (साम, दम, दंड, भेद) बना रही है। उसके सिर्फ २ कारन है। १. अल्पमत की सरकार अपने वादे नहीं पूरा कर पायेगी। २. किसी और से समर्थन लेने पर ये उसे जोड़-तोड़ कि राजनीति बताएँगे। और फिर चिल्ला- चिल्ला कर कहेंगे आम आदमी पार्टी भी हमारी तरह भ्रष्ट और अकर्मण्य है। इस तरह उसकी छवि ख़राब कर अपने रस्ते का कांटा साफ़ करना च रहे हैं।
कांगो-बीजेपी इतने बड़े सत्ता लोलुप और देशद्रोही हैं कि कोई अच्छा काम करना चाहता है देश के लिए, तो हर तरह की सम्भव और असम्भव बाधा उसके रास्ते में डालने का प्रयास करेंगे।
बहरहाल मैं अपनी कहानी का परिणाम तो बताया नहीं: रिश्तेदारों और मेरे भाई के अथक प्रयासों के बाबजूद भी वो लोग मुझे कीचड में फेकने में असफल रहे। क्योंकि बचपन से ही मैं शरीर से पुष्ट था, दौड़त अच्छा था, और जब पता चला कि मेरा चचेरा भाई उनसे मिलगया है तो मैंने ठान लिया कि अब तो हारना ही नहीं है चाहे कुछ भी हो जाये। अतः जहा चाह, वहाँ राह !
इसी तरह मुझे आशा ही नहीं पूरा विश्वास हैं ये काँगो-बीजेपी कितना भी प्रयास कर ले "आप" को पथभ्रष्ट नहीं कर पाएंगे।
वन्देमातरम।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें