शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

मुख्तार को जवाब: भारत माँ के सपूतोंका !

एक निजी टीवी चैंनल पर मुख्तार अब्बास नक़वी द्वारा अप्रवासी भारतियों को आतंकवादी कहे जाने पर, माँ के आक्रोशित सपूतों का जवाब ! 


सुन लो मुख्तार कान खोल के,
तेरे अहंकार को, तोड़ देंगे मरोड़ के,

माटी के सपूतों को, आतंकवादी बोलते हो,
हमें लगता है खोट है तुम्हारे खून में,

या तो तुम हो चुके हो दीवालिया,
या कुछ मिलावट है तुम्हारे बाप में,

तुम दरिंदो के सताए, माँ के सपूत हैं हम ,
अपनी दम पे उड़ने वाले परवाने हैं हम,

अपनी रोजी कमाने आये थे यहाँ,
दिल छोड़ के आये थे हिन्दुस्तान में,

गांधी, सुभाष, रमन भी थे अप्रवासी,
जिनपर नाज है, सारे हिंदुस्तान को,

तुम दरिंदो से अपनी माँ को छुड़ाने,
हम आरहे हैं वापस सीना तान के, 

अभी तो धन ही किया है माँ पर न्योछावर,
पीछे नहीं हटेंगे गर पड़ी जान पे,

माटी के अपमान का बदला लेंगे जरूर, 
जरा आने दे चुनाव इस बार के,


वन्देमातरम !

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