मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

काश अरविन्द, मधु कोड़ा होते !



जब से आम आदमी पार्टी की विजय पताका दिल्ली में फहराई है, चरों तरफ से सरकार बनाने के नए- नए तरीके सुझाये जा रहे हैं।  कोई कहता है, कांग्रेस से समर्थ लो, कोई कहता है, बीजेपी से लो।  मेरे पास भी इसी तरह के एजेंट्स के कई मेल आ  चुके। मैं तो काफी खुश हुआ कि लोग मुझसे भी "आप" समर्थन स्वीकार इसके बारे में सिफारश करते हैं।  तब मुझे अहसास हुआ कि जब नेताओं कि कुर्सी हिलती है तो उन्हें सबमे अपना बाप नजर आता है।   एक पूर्व महिला पुलिस अधिकारी, जोकि आजकल बीजेपी कि कवर एजेंट बन गई है (हालाँकि ये अच्छी नौकरी है)   ने बीजेपी और "आप" को साथ मिलकर सरकार बनाने का सुझाव  दिया।  आप ने उनके सुझाव का स्वागत किया, क्योंकि सुझाव अच्छा था ( सुझाव  देने वाले की नजर में), पर क्या करें अरविन्द जी और पूरी "आप" सरकार न बनाने पर अड़ी हुई है।  अब बहुमत के इतने करीब होकर भी सरकार न बनाना तो मूर्खता ही कही जाएगी।  आप भी इस बात से सहमत होंगे ? पर क्या करें सरकार बनाने के रस्ते में सिर्फ  एक रोड़ा है "अरविन्द, मधु कोड़ा नहीं हैं" अगर होते तो जीभ लपलपाकर कर कुर्सी कि तरफ दौड़ते, और फिर जनता का पूरा धन खा लेते। (उसके बाद क्या होता है आपको पता है )  अगर अरविद: सुखराम, कल्याण सिंह, मायावती, मुलायम, लालू , देवेगौड़ा या फिर फेकू, पप्पू, या लल्लू  आदि कुछ भी होते तो सरकार जरूर बना लेते।  परन्तु दुर्भग्य से ( इन सभी लल्लुओं के ) वो एक आम आदमी हैं, जिसे कुर्सी का कोई लालच नहीं है, वो तो आम आदमी कि लड़ाई लड़ना चाहते है, उसके लिए कुछ करना चाहते हैं, वो अल्पमत सरकार बनाकर या भ्रष्टों से मिलकर देश कि दुर्दशा में कम से कम अपना सहयोग तो  नहीं देना चाहेंगे।  वो जितने वादे आम आदमी से किये हैं उन्हें पूरा करने के लिए पूर्ण बहुमत चाहिए, और दिल्ली की  जनता सब देख रही है, कैसे लल्लू, पप्पू , फेकू और उनके एजेंट "आप" को भी पथभ्रष्ट करने कि कोशिश कर रहे हैं।  इसबार दिल्ली की  जनता ऐसा झाड़ू चलाएगी कि ये अपनी सुध-बुध सब को बैठेंगे।  अगर भरोसा नहीं है तो शीला ताई से पूछ लो।  (अगर ताई, अपने सपनो के बारे में सच बताये तो जरूर अरविन्द झाड़ू लिए उसे खदेड़ रहे होंगे और तभी वो कीचड में फस गई होगी )  दिग्विजय अंकल, पप्पू, लल्लू किसी से भी पूछ लो, कि आम आदमी को ललकारने पर क्या दुर्गति होती है।  दिल्ली तो फेकू को भी दूर दिखने लगी है, इसी लिए उनके अंडर कवर एजेंट सक्रिय हो गए हैं।  

वन्देमातरम।  

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