शुक्रवार, 8 मई 2015

स्वराज गीत !



हो स्वराज,और हो खुशहाली,
जीवन सबका, सफल बने,

बिना द्वेष और भेद भाव के,
सबको- सबका भाग मिले,

हो सुभाष, या भगत -राजगुरु,
सब ने ही ये ठानी  थी, 

हो स्वराज हर-एक जन का,
बापू की ये वाणी थी,

नहीं है उपक्रम, नहीं पराक्रम,
फिर भी मन में ज्योति जगी,

है स्वराज का स्वप्न अधूरा,
बापू की है आन खड़ी,

मन से मन को जोड़ -जोड़ कर,
नयी श्रंखला है गढ़नी,

कण-कण, त्रण -त्रण जोड़-जोड़ कर,
नई ईमारत है गढ़नी,

यह स्वराज अभियान बनेगा,
भारत भाग्य विधाता,

जन- जन को अधिकार मिले,
है,  संकल्प हमारा,

जय हिन्द ! वन्देमातरम !

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