शुक्रवार, 16 जनवरी 2015

शुरू से ही पाखंडी हैं किरण भेदी !


कल किरण बेदी बीजेपी में शामिल होगयीं।  इसमें कोई बुराई नहीं है, स्वतंत्र भारतीय नागरिक होने के नाते उन्हें चुनाव करने की पूरी आजादी है।  मैंने खबर पढ़रहा था की अतीत की एक बात याद आई।  मैं स्नातक की पढ़ाई कर रहा था, मेरा सिविल सर्विसेज में जाने का बहुत मन था, खासकर पुलिस सेवा में।  उसका कारन थी किरण बेदी।  मेरे पिता जी किरण जी के बहुत बड़े प्रशंसक थे, एक तो वो पहली महिला पुलिस अधिकारी थी, दूसरी जबसे उन्होंने इंदिरा जी की कार नो - पार्किंग से उठवाई थी लोग उनकी हिम्मत  की दाद देते थे।  मुझे भी लगता था मैं एक ईमानदार और साहसी पुलिस अधिकारी बनकर देश की सेवा करूंगा।  मैंने उनकी किताबे भी पढ़ी जैसे " गलती किसकी" , "हिम्मत है",  "यह संभव है"  आदि।  इन्हे पढ़कर मैं किरण जी का बड़ा प्रशंसक या दुसरे शब्दों में कहें की  "भक्त" बन गया तो अतिसंयोक्ति  नहीं होगी।मुझे हमेशा लगता बस एक बार किसी तरह से किरण जी से मुलाक़ात हो जाए तो उनके पैरों में गिर जाऊं। उनसे एक ईमानदार पुलिस अधिकारी बनने के गुर सीखूं।  मेरी ये लालसा अधूरी ही रही क्योंकि कुछ  अवांछनीय  कारणों की वजह से मैं सिविल  की तैयारी नहीं कर सका।  फिर पर्यावरण विज्ञान और  अभियांत्रिकी के चक्कर में पड़कर मैं यहाँ तक आगया। 

मैं कोरिया में ही था की "अन्ना आंदोलन" शुरू हुआ, मुझे भी लगा मुझे इसमें अपना यथा सम्भव योगदान देना चाहिए और मैंने दिया भी।  अन्ना टीम में किरण बेदी के होने की वजह से मैं और गदगद था, की चलो मैं ऐसे समूह को समर्थन दे रहा हूँ जिसमे ऐसा व्यक्ति शामिल है जो मेरा बचपन का आदर्श है।  सही कहूँ तो मैं तबतक  अन्ना , अरविन्द को जानता तक नहीं था, हाँ प्रशांत के बारे में कभी-कभी  पढता रहता था, उनके पी. आई. एल. की वजह से।  

तभी मुझे किसी ने बताया कि किरण जी की गैर सरकारी संगठन में भी कई तरह का भ्रष्टाचार है।  इसके बाद मैं किरण जी को परखने की कोशिश करने लगा , और तभी हवाई जहाज के फर्जी टिकट और बेटी को गलत तरीके से मेडिकल में दाखिले का मामला सामने आया।  मेरी नज़रों से किरण बेदी की वो छवि धुँधली होती गई।  उसके बाद  रामदेव, और वीके सिंह से मिलकर  जनलोकपाल के अन्ना आंदोलन का जैसे उन्होंने गाला घोटा उससे तो ये बात साबित होगई,  कि मेरे मित्र परिवार ने जो बात बताई थी, उसमे सच्चाई है।  जनलोकपाल आंदोलन में तो उन्होंने सिर्फ अन्ना के साथ ही नहीं  पूरे देश के साथ धोका किया था।   
कल, जब उन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया, तो अरुण जी ने कहा "किरण जी लम्बे समय से बीजेपी के संपर्क में थीं"  ये बात यह साबित करने के लिए काफी थी की उन्होंने जनलोकपाल आंदोलन में पूरे देश के साथ धोका क्यों किया।   अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब उन्होंने मोदी और बीजेपी की खिचाई की थी ।  कुछ ट्वीट्स :- 














किरण जी को अभीतक जिस पार्टी में इतनी खराबी नज़र आरही थी, और उसके नेता को वो कोर्ट के बाहर भी माफ़ करने के लिए तैयार नहीं थी , अब ऐसा क्या होगया की उन्हें अब उसी पार्टी में शरण लेनी पड़ी।  मुझे लगता है, किरण जी शुरू से ही भ्रस्ट और मौकापरस्त महिला रही है "जिनके खाने के और दिखाने के और दांत हैं।  उनके पति श्री ब्रज बेदी जी का नया सन्देश भी कुछ यही कहता है।  



किरण जी ! मुझे बड़े दुःख के साथ ये कहना पढ़  रहा है की मैंने कभी आपको अपना आदर्श माना  था , अरे आपतो इतनी गिरी हुई, स्वार्थी, पाखंडी और तुच्छ महिला हैं की आप मेरे नफरत के भी योग्य नहीं हैं।  




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