शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

नूतन आरम्भ



नील- धवल, व्योम, अरुण रस स्राव करे,
निर्झर है धवल, प्रकृति भी मनुहार करे,

शीतल तरंग, मन शीतल है, कामना भी,
अरुण-वरुण मिले, और ज्योति प्रकाशित है,

छटी है, और छटेगी, रात की करियाई,
मन में विश्वास, औ आशा एक जागी हैं,

शशि हो, या  तिमिर, उदित हो, प्राची पर,
संग- संग जीवन संगीत, आज  बरसे है,

आओ हम  मिलकर, नूतन आरम्भ करें ,
स्वागत नव वर्ष का, आरम्भ भी दिव्य हो, 

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