शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

उठालो तलवार तुमको शपथ माँ की


इन पिशाचों को जलाकर भस्म करदो,
इन दरिंदों को मिटा दो, नष्ट कर दो,
घूरता हैं माँ-बहन की अबरू जो,
नोच लो आँखे, सर को कलम करदो,

हैं नहीं जिनको कदर नारी के मन की,
हैं नहीं जिनको कदर नारी के तन की,
नष्ट करदो उस घमंडी के दैत्य को तुम,
प्रलय ला दो इस धरा पर आज ही तुम,


करे जो शोषण, हमारी माँ- बहन का,
उस दरिन्दे का, जीवन नरक करदो,
उठालो तलवार, तुमको शपथ माँ की,
कोख का ऋण, आजही तुम पूर्ण करदो,  

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