रविवार, 1 फ़रवरी 2015

सोच कर वोट दो !



आज जो जगे नहीं, आज जो उठे नहीं,
देश की पुकार को, आज जो सुने नहीं,
घडी गुज़र जायेगी, देश रूठ जाएगा, 
लाखों, करोड़ो की आस टूट जायेगी,

लालच मेंआकर, बेंच दिया वोट को जो, 
बच्चों के सपनो पे, ग्रहण लग जाएगा,
भारत का सुनहरा कल, दूर चला जायेगा,
एक "सुनहरा चिराग" असमय बुझ जायेगा, 

बहुत हुआ दंगा, बहुत हुआ जातिवाद, 
बहुत हुई नातेदारी, बहुत हुआ डर का साथ,
करके गुमराह तुम्हे, कुर्सी जकड़ते हैं,
लूटकर तुम्हे ही, तुमसे ही अकड़ते हैं,

तुम नहीं अशक्त, किन्तु तुम तो सशक्त हो, 
अपनी मतदान की, शक्ति को पहचानो,
इसबार बहकावे में आकर,  वोट को फेंक दो,
एक दानदाता की तरह 'पात्र' को ही वोट दो,  


सजग रहो, अडिग रहो, पूर्वाग्रह त्याग दो,
एक बार देश के खातिर, सोच कर वोट दो, 
अपने बच्चों के खातिर, सच्चे को वोट दो.
एक बार तो  "सत्यमेव जयते"  का साथ दो, 

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