मंगलवार, 13 मई 2014

पत्थर का घरौंदा !



पत्थर के घरौंदे पर,
जब आग बरसती है,
तन ऐसे दहकता है,
शोलों की बस्ती हो,

मिट्टी को दफ़न करके,
शोलों पे घर बसाया,
शोणित भरी ये नदियां,
पानी को तरसती हैं,

ज़ज्बात- हकीक़त का,
है, मिलान ये अनोखा,
ये उनको मारडाले,
वो इनको मार डाले,

सपनों के मसीहे ने,
कुछ बस्तियां बसाई,
न हमको रास आई,
न उनको रास आई,

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