शनिवार, 8 मार्च 2014

बहुत हो चुका चूल्हा-चौका !



बहुत हो चुका चूल्हा-चौका ,
बहुत हो चुका कलम का साथ,
आज सुशोभित होगा डंडा,
जिस पर करे  तिरंगा राज, 

परिवर्तन कि बही हवा है,
एक झोका मैं बनकर आज,
बहनो के संग मिलकर ऐसे,
बनू बबंडर अब विकराल,

शुष्क पात से उड़े अमानुष,
भ्रष्टाचार पे झंझाबात,
मातृभूमि की करें सफाई,
हाथ में लेकर झाड़ू आम,



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