शुक्रवार, 16 मई 2014

तू युद्ध कर !

जब घोर अँधेरा छाये,
विजय नजर न आये,
शक्ति का कर पुनर्गठन,
व्यूह रच, और युद्ध कर,

राज तिलक की हो बेला,
या हो बलिदान का मौसम,
मातृभूमि पर हो न्यौछावर,
बस तू युद्धकर, तू युद्धकर, 


मंजिल करे आँख मिचौली,
या संसाधन हो गौण,
लक्ष पर टिका नजर,
बस तू युद्धकर, तू युद्धकर,

कलयुग के दानव,
करने जब अधर्म युद्ध,
धर्म पर रह अडिग,
कुशल बन, और युद्ध कर,

ठान लिया है, तूने जो रण,
आम आदमी की है ये जंग,
अब सर कटे, या लगे दंश,
थामकर मशाल, तू बढेचल,


चलते, चलते सफर में,
रुकें कदम, या लगे ठोकर,
या हो अथाह समंदर,
सजग हो और बढ़े चल,

दिखे आशा की किरण,
या हो निराशा का धुंध,
छोड़कर फल की चिंता,
तू युद्ध कर, तू युद्धकर,

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