सोमवार, 25 नवंबर 2013

अनुरंजन झा कांग्रेस और बीजेपी कि कोख में "आप" नामक लकवा लगने से उत्पन्न हुए !



मित्रो, 

कांग्रेस और बीजेपी की जब से शादी हुई है, इनका प्यार इतना फल- फूल रहा है कि, एक के बाद एक दैत्य पैदा हो रहे हैं।  कभी कांग्रेस गर्भवती होती है, तो  सुखराम, कलमाड़ी और शीला पैदा होते हैं।  तो कभी बीजेपी के गडकरी और येदयुरप्पा जैसे सुपुत्र पैदा होते हैं। कभी- कभी तो ये दोनों मिल कर दूसरी पार्टियों जैसे डी. एम. के,  जे.एम्, एम्, और राष्ट्रीय जनता पार्टी जैसे दूसरी प्रजाति के दैत्यों से नाजायज सम्बन्ध बनाकर, शीबू, लालू, मधु कोड़ाराजा आदि जैसे भ्रष्ट संतानो को जन्म देते हैं। कई दशकों से ये काम-क्रिया  चलती आ रही है , जिसका पोषण बड़े व्यापारिक घराने बहुत बढ़िया तरीके से करते आ रहे है।  मीडिया भी अपनी भांट-गीरी के कर्तव्य को अच्छी तरह से निभाता आरहा है।  इन बरसाती कीड़ों कि संख्या इतनी बढ़ गई कि आम आदमी का हाल उस फासल से भी ज्यादा बुरा हाल था, जो बरसाती कीड़ो का शिकार होती है।  बरसात कि अवधि  भी ६५ साल से ऊपर निकल गई, कई बार जयप्रकाश जैसे कीट नाशक आये परन्तु ये दैत्य कीट उन्हें भी हजम कर डकार तक नहीं मारी।  

दो साल पहले आना हज़ारे और उनके साथियों ने कांग्रेस - बीजेपी के गर्भ में एक लात मारी, गर्भ में दर्द भी हुआ परन्तु गर्भ पात नहीं हो सका।  उसके बाद अरविन्द नमक "चपला" अन्ना से अलग हो कर अपना शक्ति संग्रह करने लगी।  देश के सभी उपेक्षित नागरिक जो इन टिड्डी दलों के लम्बे मौसम से त्राहि- त्राहि कर रहे थे, अपने खून का एक- एक कतरा दान कर "अरविन्द नामक "चपला" को वज्रा बना दिया। उस वज्र का नाम था "आम आदमी पार्टी" और काम था कोंग्रेस- बीजेपी के सह- गर्भ का गर्भपात करना।  पहले तो इस दैत्य दम्पति (कोंग्रेस- बीजेपी) ने अपने मद में चूर होने के कारन "आप" रुपी वज्र की शक्ति को नजर अंदाज़ किया, परन्तु जब इनके कुर्सी के पावं डगमगाने लगे तब ये इस वज्र शक्ति को नष्ट करने कि सोची। कई तरह से अस्त्र -शस्त्र जैसे विदेशी फंडिंग, सम्प्रदायवाद, खुपिया जांच आदि चलाये परन्तु वज्र का तेज तो कम नहीं हो सकता था वो और बढ़ता गया, क्योंकि वो तो आम आदमी के खून- पसीने से बना था।  

अब इस अति आपात काल की स्थिति में कांग्रेस-बीजेपी के समक्ष सहवास कर कोई दुर्दांत दैत्य पैदा करने के अलावा कोई चारा नहीं था, इन्होने सहवास कर "निचकेता" को पैदा किया, परन्तु वो भी प्रभाव  विहीन हो गया।  अबतक "आप" के तेज से उठे बबंडर से इनकी कुर्सी गिरने लगी.  इनसे कुछ नहीं सूझा फिर सहवास किया और " अनुरंजन झा" को गर्भ में धारण ही किया था कि "आप" रुपी वज्र इनकी कोख में जा लगा, और गर्भपात हो गया, वह अपूर्ण दैत्य शिशु "अनुरंजन" अपनी माया फैला कर वज्र का तेज नष्ट  करने कि कोशिश तो बहुत की, परन्तु अपूर्ण गर्भ, वो भी अधर्म का, धर्मं के तेज को कैसे नष्ट कर सकता था । उसका भी वही हाल हुआ जो अधर्मियों का होता है, अभी वेंटिलेटर में हैं परन्तु जैसे ही मानहानि के मुक़दमे का फैसला आएगा बिचारा "नरकवासी" हो जायेगा।  और अब कॉंग्रेस - बीजेपी का गर्भ भी क्षत -विक्षत हो गया है, इसलिए सहवास कर नया दैत्य जन्मदेना  भी असम्भव है।  बेचारे दैत्य दम्पति ....... 

जब तक इस "चपला" से साथ आम आदमी का खून- पसीना जुड़ा हुआ है, इसे दैत्य नाशक "वज्र" पद से कोई हटा नहीं सकता।  

वन्देमातरम ! 

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