बुधवार, 1 अगस्त 2012

शंखनाद है संपूर्ण क्रांति का



वहां तुम जलाओ यहाँ हम जलाये,
मिलकर सब दिये मशाल बने,
एक साथ थाम कर इस मशाल को,
सच्चे गणतंत्र का सपना साकार करें, 

सब के दिलों में जो धधकती आग है,
वो बाहर निकल आज हवन कुण्ड बने,
राष्ट्र-यज्ञ मागता है फिर से बलिदान,
इस वेदी में खुद को बलिदान करें,

एक - एक से मिलकर बनता है कारवां,
घर से निकाल कर इसे और सशक्त करें,
मूक दर्शक नहीं बनना है अब हमे,
आओ सब मिलकर युद्ध घोष करें,

शंखनाद है ये संपूर्ण क्रांति का,
आओ हम सब इसके गवाह बने,
भारत- जन के हित के खातिर,
आओ हम भी अपने हिस्से का बलिदान करें,


जय हिंद !! जय भारत!! जय भारतीय गणराज्य !!

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