गए थे दिया दिखाने हाँथ जला बैठे,
गए थे रास्ता दिखाने खुद को भुला बैठे,
ये प्यार भी अजब चीज है दोस्तों,
गए थे सुकून खोजने होश गवां बैठे,
सुकून खोने का तो कोई ग़म नहीं है दोस्तों,
चर्चा सारे आम हुआ तो उनको ही गवां बैठे,
इस मुफिलिसी का क्या कहूं मैं यारो,
उनको आँखों में छुपाया तो नजरें गवां बैठे,
मुकद्दर के आईने में क्या था यारो,
उनको सपनो में छुपाया तो रातें गवां बैठे,
हद तो तब थी उनकी बेरुखी की यारो,
उनको अश्कों में पिरोया, तो आंसू भी गवां बैठे,
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