शुक्रवार, 11 मई 2012

रति सा श्रृंगार किये आई एक फुहार है



रुपहले से दामन में,
शशि का सरताज है,
चीर मधुबन पे जैसे,
अद्भुत रंगराज  है,

सरोज भी कुंठित है,
नैनों के दीदार से,
चकोर भी है विस्मित,
उगा नूतन चाँद है,

चंचल तरंगो में,
उनका ही राग है,
शावक  की चपलता,
फीकी क्यों आज है,

ऋतुये हैं आज मिली,
छितिज भी अब पास है,
सागर से नदी मिली,
भौंरे को प्यास है,

रति सा श्रृंगार किये,
आई एक फुहार है,
अधरों में जीवन लिए,
नैनो में प्यार है,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें