शनिवार, 28 जून 2014

शर्मशार हूँ मैं !



व्यापम घोटाला आने के बाद मध्यप्रदेश का निवासी होने के नाते मैं बहुत शर्मिंदा हूँ।  पहले जब कभी घोटालो की बात आती थी तो उत्तरप्रदेश, बिहार या अन्य राज्यों का का नाम आता था।  मैं बढे फक्र साथ कहता की मेरे मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं होता।  और आज जब व्यापम घोटाला अपनी व्यापकता के मामले अब तक की सभी सीमाये तोड़ चुका है, वो भी स्वघोषित राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक दाल बीजेपी के लम्बे कार्यकाल में, शर्म और दुःख से मेरा सिर झुक रहा है।  

इतना ही नहीं शासक दल के प्रवक्ताओं का जिसतरह से कोंग्रेसी करण  हुआ है, वो देश के लिए बहुत ही खतरनाक है।  यह घोटाला बीजेपी के लम्बे कार्यकाल में जिसतरह से संवर्धित और फलित हुआ है, मुझे इसबात का भय है की, अगर इसी तरह की शासन व्यवस्था चलती रही तो ५- १० सालों में बीजेपी, कांग्रेस की माँ निकलेगी, और आर. एस. एस. उसका दादा।  

मुझे खुद पर इसबात पर शर्म भी है, और भी गुस्सा आरहा है की मैंने कभी बीजेपी को वोट किया था।  

ये काले अंग्रेज तो गोरों के बाप निकले !

कभी-कभी लगता है हम इसी के लायक है, क्योंकि "बबूल के पेड़ में आम के फल नहीं लगते" 

पता नहीं इस देश का क्या होगा।  

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