सोमवार, 19 अगस्त 2013

इस रक्षाबंधन के पावन पर्व पर एक बहन का राष्ट्र और भाइयों से आह्वान !



हे राष्ट्र मेरे, तू भ्रात मेरा ।
तुझको अखण्ड वर देती हूँ ।।
हूँ भगिनि तेरी, मैं जननी भी ।
निज रक्षा का वर लेती हूँ ।।

ये रक्षा बंधन है पुनीत ।
गरिमा इसमें भर देती हूँ ।।
इस राखी के बदले तुझसे ।
निज रक्षा का प्रण लेती हूँ ।।

हैं भटक गए कुछ बन्धु मेरे ।
उनका आवाहन करती हूँ ।।
तुम हो रक्षक, ना की भक्षक ।
हो मर्यादित, मैं कहती हूँ ।।

मैं हूँ सबला, ना की अबला ।
ममता से, जग को भरती हूँ ।।
गर चुनी नहीं, तूने सही राह ।
चंडी का रूप, भी धरती हूँ ।।

रक्षाबंधन के अवसर पर ।
आज शपथ मैं लेती हूँ ।।
जन्मभूमि, और कन्या की ।
भयमुक्ती का प्रण लेती हूँ ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें