शुक्रवार, 21 जून 2013

"सिलिकॉन लोक" के वासी !


शिक्षित,  स्वकेन्द्रित, और देश विमुख, भारत माँ की संतानों को सप्रेम भेट !!




सब मृतवत हैं, सब विस्मित हैं। 
है प्राण नहीं अब बाकी ।। 
भर उदर स्वयं का, सुप्त हृदय।
कहते वो भी हैं भारत वासी ।।

सुनलो मृतवत, द्वि-पद डंगर।
"सिलिकॉन लोक" के वासी ।।
गर रहोगे सोते, खुद में खोके ।
खो दोगे जो भी है बाकी ।।

माँ रही पुकार, समय रन का है।
बना शत्रु उसका ही सूत है।।
उठो सजग हो, लड़ो अभय।
बलिदान करो, अब की बारी।।  


जय हिन्द !! 


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