इस दिवाली हम दिए जलाएं, जरूर जलाएं
और ज्यादा दिए जलाएं,
पर आंसू के साथ, उस दिए के नाम,
जो आहुति बनगया, हमारे दिए के लिए,
एक आंसू उस दिए के नाम, जो बुझ गया,
सरहदों पर जलगाया, मशाल बनकर,
एक आंसू उस घर के नाम,
जिसका दिया बुझ गया, हमेशा के लिए,
जिसका दिया बुझगया कि, करोड़ों दिए जलते रहे,
एक आंसू उस दिए के नाम भी,
एक आंसू उस वादे के नाम, जो कभी पूरा नहीं होगा,
जो पिता ने किया था अपनी बेटी से जल्दी घर आने का,
एक बेटे ने किया था माँ से जो वादा,
एक आंसू उस वादे के नाम, उस माँ के नाम,
एक आंसू उस पत्नी के नाम,
जिसकी हर दिवाली काली होगी, ताकि हमारी रोशन रहे,
एक आंसू उस पिता के नाम,
जिसके बुढ़ापे की लाठी टूट गयी,
एक आंसू उस घर के नाम,
जिसके आँगन का दिया औरो के दिए पर क़ुर्बान होगया,
एक आंसू उस अधूरे मिलन के नाम,
एक आंसू राह जोहती सूने आँखों के नाम,
एक आंसू सरहद पर शोले खाने वाले,
हर एक दिए के नाम,
एक आंसू सियाचिन पर गलकर,
न बुझने वाले, न झुकने वाले दिए के नाम,
आंसू उस सपूत के नाम, उस वीर के नाम
जिसने अपनी लहू से दिए जलाये,
एक आंसू भारत माँ की अंचल में,
सर्वस्व न्यवछावर करने वाले उस लाल के नाम,
जय हिन्द !
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