बुधवार, 4 अप्रैल 2012

एक दुआ





बरकत दे उनको मेरे खुदा,
मुझे कुछ  सुकून मिले, 
खुशियों पे हक सिर्फ उनका है,
मुझे अश्कों का खिताब दे,


मैं तो खुश हूँ स्याह रातों में,
उन्हें सुबह का आफ़ताब मिले 
कर मेरी दुआ कुबूल मेरे मालिक,
उनको आसमां की उड़ान मिले,

आंसू का एक भी क़तरा हो,
गर उनकी आँखों के नसीब में,
मैं आसिम हूँ वो मेरा तकदीर हो
वो  हर एक क़तरा मुझे नसीब हो,

उनके हूर की दमक न कम हो कभी,
न उनके दमन पे कोई दाग हो,
इनाम में दे दे मुझे कालिख मौला
गर उनके नसीब में कोई दाग हो,

                                    - डॉ. सुधीर कुमार शुक्ल" तेजस्वी" 

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